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तृतीयः पादः एत साज्झला त्रयोदशगे ऽचः ॥ १ ॥
(इस सूत्रमें) आदेः पदकी अनुवृत्ति है । त्रयोदश इत्यादि शब्दोंमें आद्य स्वरका, साझला यानी अगला स्वर और व्यंजन इनके साथ, ए होता है। उदा.-तेरह त्रयोदश | थेरो स्थविरः (यानी) बूढा या ब्रह्मदेव । एक्कारो अयस्कारः। वेइल्लं विचकिलम् । मुद्धविअइल्लपसूणपुंजा यह भी दिखाई देता है तेवीसा त्रयोविंशतिः । तेत्तीसा त्रयस्त्रिंशत् । इत्यादि ॥ १ ॥ कदले तु ।। २ ।।
(इस पत्रमें १.३.१ से) एत् साज्झला पदोंकी अनुवृत्ति है। कदल शब्दमें आद्य स्वरका, अगला स्वर और व्यंजन इनके साथ, ए विकल्पसे होत है। उदा.-केलं कअलं । केली कअली ॥ २ ॥ कर्णिकारे फोः ।। ३ ।।
कर्णिकार शब्दमें फु का यानी द्वितीय स्वरका, अगला स्वर और व्यंजन इनके साथ, ए विकल्पसे होता है । उदा.-कण्णेरी कण्णिआरो ॥ ३ ॥ नवमालिकाबदरनवफलिकापूगफलपूतर ओल् ।। ४ ॥
(नवमालिका, बदर, नवफलिका, पूगफल, पूतर) इन शब्दोंमें आद्य स्वरका, अगला स्वर तथा व्यंजन इनके साथ, ओ होता है। (पत्रमेंसे ओल् में) ल् इत् होनेसे, यहाँ विकल्प नहीं होता । उदा.-णोमालिआ नवमालिका । बोरं बदरम् । णोह लिआ नवफलिका। पोफलं पूगफलम् । पोरो पूतरः (यानी) अधम या जलजन्तु ॥ ४ ॥ तु मयूरचतुर्थचतुरिचतुर्दशचतुर्गुणमयूखोलूखलसुकुमारोदुखललवणकुतूहले ।। ५ ॥
___ मयूर, इत्यादि शब्दोंमें आद्य स्वरका, अगला स्वर और व्यंजन इनके साथ, ओ विकलसे होता है। उदा.-मोरो मऊरो मयूरः। चोत्थो चउत्थो चतुर्थः। चोव्वारो चउन्वारो चतुर्वारः। चोदह चउद्दह चतुर्दश। चोदही चउद्दही चतुर्दशी । चोग्गुणो चउग्गुणो चतुर्गुणः। मोहो मऊहो मयूखः ।
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