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हिन्दी अनुवाद-म., पा.. बादल पर्वतोंसे लगे हैं। पथिक रोता हुआ जाता है। जो यह पर्वतको निगलनेवाला है वह क्या सुंदरी ( के प्राण ) पर दया करेगा ?
यहाँ अब्भामें नपुंसकलिंगका पुल्लिंग ( हो गया है)। पाइ विलग्गी अंबडी तिरु ल्ह सिउं खंधस्सु । तो वि कडारइ हत्थडउ बलि किज्जउँ कंतस्सु ॥ १६२ ।।
(= हे. ४४५.२) ( पादे विलग्नमन्त्रं शिरः स्रस्तं स्कन्धात् । तथापि कटारे हस्तः बलिं करोमि कान्तस्य ॥)
पैरपर अंतडी लगी है। शिर कंधेसे स्रस्त हुआ है। फिरभी ( जिस का ) हाथ ( अद्यापि अपने ) कटारीपर है ( ऐसे ) कांतकी मैं पूजा करती हूँ। यहाँ अंबडीमें नपुंसकलिंगका स्त्रीलिंग (हो गया है)।
सिरि चडिआ खंति फलइ पुणु डालइँ मोडंति । तो वि महदुम सउणाहँ अवराहिउ न करन्ति ॥ १६३ ॥
(= हे. ४४५.३ ) ( शिरसि आरूढा खादन्ति फलानि पुनः शाखा भञ्जन्ति । तथापि महाद्रुमाः शकुनीनामपराधितां न कुर्वन्ति ।।)
पंछी शिरपर चढकर फल खाते हैं और शाखाओंकोभी तोडते हैं। तथापि महावृक्ष उनका ( कुछभी ) अपराध नहीं गिनते । यहाँ डालई में स्त्रीलिंगका नपुंसकलिंग ( हो गया है )। सौरसेनीवत् ।। ६९॥
अपभ्रंशमें प्रायः शौरसेनीके समान कार्य होता है ॥६९।। उदा.सीसि हरु खणु विणिम्मविद् खणु काठ पालंबु किदु रदिर। विहिदु खणु मुंडनालिअ जं पणऍण तं नमहु कुसुमदामकोदंड कामहों ।। १६५ ।। (= हे. ४४६.१)
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