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हिन्दी अनुवाद-अ. ३, पा. ३
૨૪ક जाने दो (उसे); उस जानेवालेको (पीछे) मत बुलाओ। देखती हूँ (वह) कितने पैर (आगे) डालता है। उसके हृदयमें मैं टेढी होकर (गडी) हूँ। परंतु (मेरा) प्रियकर (जानेका केवल) आडंबर करता है।
एवमेम ॥ ३६॥
एवं ऐसा अव्यय एम ऐसा होता है। उदा.-एम रामु कुणइ, एवं रामः करोति ॥ ३६॥ पियसंगमि कउ निद्दडी पियहाँ परोक्खहाँ केम। मह बिण्णि वि विण्णासिअ निद न एम न तेम ॥५५।। (हे. ४१८.१)
(प्रियसंगमे कुतो निद्रा प्रियस्य परोक्षस्य कथम् । मम द्वे अपि विनाशिते निद्रा न एवं न तथा ।)
प्रियसंगमके समय निद्रा कहाँसे (आयेगी)? प्रियतम संनिध न होनेपर कैसी निद्रा ? दोनों (प्रकारकी निद्राएँ) मेरे (बारेमें) नष्ट हुई हैं। मुझे नींद न यों आती है और न त्यों आती है।
नहि नाहि ।। ३७ ।।
नहि ऐसा अव्यय नाहि ऐसा होता है। उदा. नाहि धम्मु, न हि धर्मः ।। ३७ ।।
एत्तहें मेह पिअन्ति जलु एत्तहँ वडवाणलु आवइ । पेक्खु गहीरिम साअरहों एक वि कणिअ नाहि ओहदृइ ।। ५६ ।।
(हे. ४१९.४) (इतो मेघाः पिबन्ति जलं इतो वडवानल आवर्तते। पश्य गभीरत्वं सागरस्य एकापि कणिका नहि अपहीयते ।।)
इधर मेघ पानी पीते हैं, इधर (उधर) वडवानल क्षुब्ध हुआ है। सामरके मांभीर्य देखो, (जलका) एक कणभी कम नहीं हुआ है।
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