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________________ हिन्दी अनुवाद-अ. ३, पा. १ २०३. हसेर्गुजः ॥ १२३ ॥ .. हसति धातुको गुज ऐसा आदेश विकल्पसे होता है । उदा.-गुजइ । (विकल्पपक्षमें)-हसइ ।। १२३ ॥ दहिरहिऊलालुक्खौ ।। १२४ ॥ 'दह भस्मीकरणे' मेंसे दह धातुको अहिऊल, आलुक्ख ऐसे आदेश (विकल्पसे) प्राप्त होते हैं। उदा.-अहिउलइ । आलुवखइ । (विकल्पपक्षमें)दहइ ॥ १२४ ।। विकसेः कोआसवोसग्गौ ॥ १२५ ।। विकसति धातुको कोआस,वोसग्ग ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-कोआसइ। वोसग्गइ। (विकल्पपक्षमें). विअसइ ।। १२५ ।। श्लिप्पोऽवआससामग्गपरिअन्ताः ।। १२६ ॥ ‘श्लिष आलिङ्गने मेंसे श्लिष् धातुको अवआस, सामग्ग, परिअन्त ऐसे तीन आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-अवआसइ । सामग्गइ । परिअन्तइ। (विकल्पपक्षमें)-सिलिसइ ।। १२६ ।। जुगुप्सतेर्दुगुञ्छझूणदुगुच्छाः ।। १२७ ।। जुगुप्सति धातुको दुगुञ्छ, झूण, दुगुच्छ ऐसे तीन आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.- दुगुञ्छइ । झूणइ । दुगुच्छइ । (विकल्पपक्षमें)-जुउच्छइ ।।१२७॥ वलग्गचडमारुहेः ।। १२८।। _ 'रुह बीजजन्मनि प्रादुर्भावे च मेंसे रुह् धातुके पीछे आ (आह्) उपसर्ग होनेपर, उसको वलग्ग, चड ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.वलग्गइ। चडइ। (विकल्पपक्षमें;-आरुहइ ।। १२८ ।। हुल्लो लक्ष्यात् स्खलेः ॥ १२९ ।।। लक्ष्य विषयके बारेमें स्खल ति धातुको हुल्ल ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-हुल्लइ (यानी) रक्ष्यात् स्खलति, ऐसा अर्थ ॥ १२९ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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