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हिन्दी अनवाद-अ. ३, पा. १
आघ्राक्षिस्नामाइग्घणिज्झराब्बुत्ताः ॥ ६ ॥
आजिव्रति, क्षयति और स्नाति धातुओंको यथाक्रम आइग्व, णिज्झर और अब्बुत्त ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-आइग्घइ आजिघ्रति । णिज्झरइ क्षयति | अब्बुत्तइ स्नाति । विकल्पपक्षमें--अग्घाइ | खअइ । हाइा
रा वेर्लियः ॥ ७ ॥
'लीङ् श्लेषणे' मेंसे ली धातु वि उपसर्गके आगे होनेपर, उसको रा ऐसा आदेश विकल्पसे होता हैं । उदा.-बिर:इ । विराअइ । विकल्पपक्षमें-विलिज्जई
निना ल्हिकणिलुकणिलिअलिकलुक्कणिरुग्धाः ॥ ८ ॥
(इस सूत्रमें ३.१.७ से) लियः पदकी अनुवृत्ति है । नि उपसर्गके साथ लीयति धातुको ल्हिक्क, णिलुक्क, णिलि अ, लिक, लुक्क और णिरुग्घ ऐसे छः आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-हिकइ । णिलुक्कइ। णिीलअइ । लिक्कइ । लुक्कइ । णिरुग्धह । विकल्पपक्षमें-णिलिजइ ॥ ८॥ सारः प्रहुः ॥ ९॥
__ प्रहरति धातुको सार ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा. सारइ । विकल्परक्षमें-पहरइ ॥९॥ प्रसुवल्लव अल्लो ।। १० ।।
प्रसाति धातुको उवेल्ल और वाल्ल ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उद... उवेल्लइ । वअल्लइ । विकल्पपक्षमें-पसरइ ॥ १०॥ महमहा गन्धे ।। ११ ।।
गंध विषयमें प्रसरति चातुको महमह ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा -महमहइ मालईगंधो । गंध विषयमें, एसा क्यों कहा है ? (कारण गंध विष में न होनेपर) पसाइ ऐसा रूप होता है) ॥ ११ ॥ झर, रसुमरविम्हरहरहललुढपअरपम्हाः स्मरतेः ।। १२ ।।
स्मरनि धातुको झर, झू', सुपर, विम्हर, हर, हल, लुढ, पअर, पम्हुह ऐसे ही देश विकल्पसे होते हैं। उदा.-साइ। झूरइ। सुमरइ। विम्हाइ। हर । हलइ । लुढइ । पअग्इ । पम्हुहइ । विकल्पपक्षमें-सरइ ॥ १२॥
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