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________________ हिन्दी अनुवाद-अ.२, पा.४ अच्चुकवोको विज्ञापेः ॥१११॥ णिच्-प्रत्ययान्त विज्ञापि धातुको अच्चुक और वोक ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-अच्चुक्कइ । वोक्का। विकल्पपक्षमें-विण्णावेइ ॥ १११ ॥ परिवाडो घटेः ।। ११२ ॥ - णिच्-प्रत्ययान्त घटयति धातुको परिवाड ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-परिवाडेइ । विकल्पपक्षमें-घडे ॥ ११२ ॥ दृशेर्दावदक्सवदंसाः ॥ ११३ ॥ णिच-प्रत्ययान्त दर्शयति धातुको दाव, दवखव, दंस ऐसे तीन आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-दावइ । दक्खवइ । दसइ । विकल्पपक्षमें-दरिसइ प्रस्थापेः पेडवपेडवौ ॥ ११४ ।। . णिच-प्रत्ययान्त प्रस्थापयति धातुको पेट्ठव, पेड्डव ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-पेट्ठवइ । पेड्डवइ । विकल्पपक्षमें-पट्ठावेइ ॥ ११४ ॥ यापेर्जवः ॥ ११५ ॥ _ णिच्-प्रत्ययान्त यापयति धातुको जव ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-जवइ । विकल्पपक्षमें-जावेइ ॥ ११५ ॥ विकोशेः पवखोडः ।। ११६ ॥ .. णिच् प्रत्ययान्त विकोशयति नामधातुको पक्खोड ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-पक्खोडइ । विकल्पपक्षमें-विओसेइ ॥ ११६॥ गुण्ठ उध्दूले ।। ११७ ॥ णिच प्रत्ययान्त उध्द लयति धातुको गुण्ठ ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-गुण्ठइ । विकल्पपक्षमें-उध्दूलेइ ॥ ११७॥ तडेराहोडविहोडौ ॥ ११८ ॥ णिच् प्रत्ययान्त तारयति धातुको आहोड और बिहोड ऐसे आदेश विकल्पसे -होते हैं उदा.-आहोडइ । विहोडद। विकल्पपक्षमें-वाडे ॥११॥ त्रि.वि....१२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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