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________________ हिन्दी अनुवाद-अ.२, पा.४ वासंघः संभावः ॥ ९८ ।। णिच-प्रत्ययान्त मुंभावयति धातुको आसंघ ऐसा (आदेश) विकल्पसे होता है । उदा.-आसंघइ । विकल्पपक्षमें-संभावेइ, संभावयति ।। ९८ ।। अरल्लिवपणामचच्चुप्पाः ।। ९९ ॥ णिच्-प्रत्ययान्त अर्पयति धातुको अल्लिव, पणाम और चचुप्प ऐसे ये तीन आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-अल्लिवइ । पणामइ। चचुप्पइ । विकल्पपक्षमें-अप्पेइ ओप्पेइ ।। ९९ ।। गुलुगुच्छोत्थङ्घोव्वेल्लोल्लाला उनमेः ।। १०० ॥ णिच्-प्रत्ययान्त, उत् (उपसर्ग) पूर्वक ऐसे नम् (नमि) धातुको गुलुगुच्छ, उत्थंघ, उव्वेल्ल और उल्लाल ऐसे चार आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.-गुलगुच्छइ । उत्थंघइ। उव्वेल्लइ । उल्लालइ। विकल्पपक्षमें-उण्णवेइ ॥ १० ॥ प्रकाशेणुव्वः ॥ १०१॥ __ णिच्-प्रत्ययान्त प्रकाश (प्रकाशि) धातुको गुव्व ऐसा (आदेश) विकल्पसे होता है। उदा.-णुव्वइ । विकल्पपक्षमें-पआसेइ ।। १०१ ॥ णिहुवः कमेः ॥ १०२ ।। ... स्वार्थे णिच-प्रत्ययान्त कम् (कमि) धातुको णिहुब ऐसा आदेश विकल्पसे होता है । उदा.-णिहुवइ । विकल्पपक्षमें-कामेइ ।। १०२ ॥ नशेविप्पगालनासवपलावहारवविउडाः ॥ १०३ ।। णिच्-प्रत्ययान्त नश् (नाशयति) धातुको विप्पगाल, नासव, पलाव, हारव, विउड ऐसे पाँच आदेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-विपगालइ । नासबइ। पलावइ । हारवइ । विउडइ। विकल्पपक्षमें-गासेइः॥ १.०३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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