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________________ ११६ त्रिविक्रम-प्राकृत व्याकरण निश्चयनिर्धारणे वले ।। ६२ ।। निश्चयंमें और निर्धारणमें वले ऐसा (अव्यय) प्रयुक्त करें। उदा.निश्चयमें-वले मीहो, सिंह एवायम् । निर्धारणमें-वले पुरिसो धणंजओ खत्ति आणं, पुरुषो धनंजय एव क्षत्रियाणाम् ।। ६२ ॥ मणे विमर्श ।। ६३ ॥ विमर्शमें मणे ऐसा प्रयुक्त करें । उदा.-मणे सूरो, किंस्वित् सूर्यः। मन्ये (मुझे भाता है) यह अर्थभी 'मन्ये'से दिखाया जाता है, ऐसा कोई मानते हैं ॥ ६३ ॥ माई मार्थे ।। ६४ ।। माई ऐसा मा (मन) अर्थमें प्रयुक्त करें। उदा.-माई काहीअ रोसं, मा कार्षीद् रोषम् ॥ ६४ ॥ अलाहि निवारणे ।। ६५ ॥ ____ अलाहि ऐसा (अव्यय) निवारणमें प्रयुक्त करें। उदा.-अलाहि विसाएण, अलं विषादेन ।। ६५ ।। लक्षणे जेण तेण ।। ६६ ।। लक्षण दिखाते समय जेण तेण ये (दो शब्द) प्रयुक्त करें। उदा.भमररु जेण कमलवणं । भमररुअं तेण कमलवणं ॥ ६६ ॥ त्वोदवापोताः ॥ ६७ ।। - अब और अप ऐसे ये उपसर्ग, और विकल्प अर्थ दिखानेवाला निपात उत, (उनके स्थानमें) ओ ऐसा (आदेश) विकल्पसे प्रयुक्त करें। उदा.-ओआरो अवतारः या अपकारः । ओ विरएमि णहत्थले, उत विरचयामि नभःस्थले । विकल्पपक्षमें-अवआरो। इत्यादि । ६७ ॥ उ ओ उपेः ।। ६८ ॥ उप ऐसा उपसर्ग उ और ओ ऐसे दो प्रकारसे प्रयुक्त करें। उदा.उधारो ओआरो उपकारः ।। ६८ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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