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________________ हिन्दी अनुवाद-अ.२, पा. १ प्रत्येकमः पडिएक्कं पाडिक्कं ॥ ६९ ।। प्रत्येकम् इस अर्थमें पाडिएक्कं और पाडिक्कं ऐसे (शब्द) विकल्पसे प्रयुक्त करें। उदा.-पाडिरक्कं। पाडिकं । विकल्पपक्षमें-पच्चे ॥६९।। स्वयमोऽर्थे अप्पणा ।। ७० ॥ _ स्वयं के अर्थमें अप्पणा ऐसा (शब्द) विकल्पसे प्रयुक्त करें। उदा.विस विअसंति अप्पणा कमलवणा। विकल्पपक्षमें-सअं चिअ मुणसि करणिज्जं, स्वयमेव जानासि करणीयम् ।। ७०॥ एकसरि झटिति संप्रति ।। ७१ ।। झटिति अर्थमें और संप्रति अर्थमें एक्कसरिअं ऐसा (शब्द) विकल्पसे प्रयुक्त करें । उदा.-एक्कसरिअं झटिति या संप्रति । विकल्पपक्षमें— झत्ति । संपइ ।। ७१ ।। इहरा इतरथा ।। ७२ ।। इहरा ऐसा (अव्यय) इतरथा (अन्यथा) के अर्थमें प्रयुक्त करें । उदा.इहरा नीसामन्नेहिं । विकल्पपक्षमें-इअरहा ।। ७२ ।। मुधा मोरउल्ला ।। ७३ ।। मुधा के अर्थमें मोरउल्ला ऐसा (शब्द) विकल्पसे प्रयुक्त करें। उदा. मोरउल्ला। विकल्पपक्षमें-मुहा ।। ७३ ।। अयि ऐ ॥ ७४ ।। अयि के अर्थमें ऐ ऐसा (शब्द) विकल्पसे प्रयुक्त करें। उदा.ऐ बीहेइ ! ऐ उम्मत्तिए । ऐसे इस विधानकेही कारण, ऐकारका भी प्राकृतमें प्रयोग होता है ।। ७४ ।। उअ पश्य ।। ७५ ॥ पश्य के अर्थमें उअ ऐसा (अव्यय) प्रयुक्त करें। उदा.-उअ णिच्चलणिफंदा। विकल्पपक्षमें-ओअच्छ, इत्यादि पश्यत इस अर्थमें (होते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001735
Book TitlePrakritshabdanushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrivikram
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1973
Total Pages360
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size19 MB
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