________________ त्रिविक्रम-प्राकृत व्याकरण ऊ गाविस्मयसूचनाक्षेपे // 52 // गर्दा, इत्यादि दिखानेके समय ऊ ऐसा (अव्यय) प्रयुक्त करें। उदा.-गों में-ऊ णिल्लज। विस्मयमें-ऊ कहं मुणिआ अहं / सूचनमेंऊ केण ण विण्णाअं। शुरु किए हुए वाक्यका विपर्यास होगा, इस शंकासे विनिवर्तन करना, यह आक्षेपका लक्षण है। वहाँ (उस आक्षेपमें)ऊ किं मए भणिकं // 52 / / पुणरुत्तं कृतकरणे // 53 // पुणरत्तं ऐसा (शब्द) कृतकरणमें (किया हुआ पुनः करना) प्रयुक्त करें। उदा.-अइ सुव्वइ पंसुलि णीसहेहिं अंगेहिं पुणरुत्तं, अयि स्वपिषि पांसुले निःसहैरङ्गैः कृतकरणम् // 53 / / हु खु निश्चयविस्मयवितर्के / / 54 / / हु और खु ये (अव्यय) निश्चय, इत्यादिमें प्रयुक्त करें। उदा.निश्चयमें-तं पि हु अछिण्णसिरं / तं खु सिरीऍ रहस्सं। विस्मयमें-को खु एसो सहाससिरो। वितर्क यानी ऊह या संशय। ऊहमें-न हु नवरसग्गहिआ एवं खु हसइ / संशयमें-जलधरो धूमो खु। संभावनमेंभी (हु और खु प्रयुक्त करें)। उदा.-तरि ण हु णवर इमं / एवं खु तुम हसइ / बहुलका अधिकार होनेसे, अनुस्वारके आगे हु शब्द प्रयुक्त न करें // 54 // णवि वैपरीत्ये / / 55 // णवि ऐसा (अव्यय) वैपरीत्यमें प्रयुक्त करें। उदा.-णवि लोअणो // 55 // वेव्वे विषादभयवारणे // 56 // वेव्वे ऐसा (अव्यय) विषाद, इत्यादिमें प्रयुक्त करें / उदा.-विषादमेंउल्लाविरीइ वेव्वे त्ति तीऍ मणि ण विम्हरिमो, किं उल्लापयन्त्या उत, खिद्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org