________________ त्रिविक्रम-प्राकृत व्याकरण सूचनामें-अब्भो दुकरआरअ / अब्भो आरद्धो / दुःखमें-अब्भो दलइ हिअ / संभाषण में-अब्भो किमिण / अपराधमें-अब्भो हरंति हिअ तह विव वेसा भवंति जुबईणं | आनंदमें-अम्भो सुप्पहाअमिणं / आदरमें-अब्भो मह सफलं जीविअं / खेदमें-अब्भो ण जाणामि चित्त / विस्मयमें-अब्भो किं पि रहस्सं मुणन्ति धुत्ता जणभहिआ, किमपि रहस्यं जानन्ति धूती जनाभ्याधिकाः। विषादमें-अब्भो णासोते धिइं पुल वढेन्ति देन्ति रणरणअं, नाशयन्ति धृति पुलकं वर्धयन्ति ददति रणरणकम् / भयमें-अब्भो गइअ म्हि तुमे व रज्जइ सा ण तारेहइ, अन्वो गदितास्मि त्वया नैव रज्येत सा न खेद्यते // 41 / हुँ पृच्छादाननिवारणे // 42 / / __ऐसा (अव्यय) पृच्छा, इत्यादिमें प्रयुक्त करें। उदा.-पृच्छामें-हुं साहसु सब्भावं / दानमें-हु गेह अप्पणो विअ / निवारणमें-हु णिलज्ज समोसर // 42 // वणे निश्चयानुकम्प्यविकल्पे // 43 / / वणे ऐसा (अव्यय) निश्चय, इत्यादिमें प्रयुक्त करें। उदा.-निश्चयमेंवणे देमि, निश्चयं ददामि | विकल्पमें-वणे होइ ण होइ, भवति वा न भवति / अनुकम्प्यमें-होइ दासो वणे ण मुच्चइ, भवति दासोऽनुकम्प्यो न मुच्यते // 43 // संभावने अइ च // 44 // __ अइ ऐसा (अव्यय), और (सूत्रमेंसे) चकारके कारण वणे यह (अव्यय), संभावनमें प्रयुक्त करें। उदा.-अइ दिअर किं ण पेच्छसि / णस्थि वणे जं ण देइ विहिपरिणामो // 44 // आनन्तर्ये णवरिअ / / 45 / / णवरिअ ऐसा (अव्यय) आनन्तर्य दिखाते समय प्रयुक्त करें / उदा.-- णवरिअ से रहुवइणो, अनन्तरमस्य रघुपतेः॥ 45 // केवले णवर / / 46 / / केवल अर्थमें णवर ऐसा (अव्यय) प्रयुक्त करें। उदा.-णवर पिआइ चिणिन्वडन्ति, केवलं प्रियाण्येव निष्पतन्ति (यानी) पृथग्भवन्ति / 'केवल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org