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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा........
गुणस्थानक्रमारोह
लेखक :
रत्नशेखरसूरि
गुणस्थान सिद्धान्त एक विश्लेषण
लेखक :
प्रकाशक :मुद्रक :
गुणस्थान: स्वरूप और विश्लेषण
लेखक :
संपादक :
प्रकाशक :
संस्करण :
मुद्रक :गोम्मटसार भाग
प्रकाशक :
चन्द्रप्रभा मकौमुदी
लेखक :प्रकाशन :मुद्रण :
चंद्रप्रज्ञप्ति
लेखक :
सम्पादन :
अनुवादक :
प्रकाशन :मुद्रक :गोम्मटसार भाग -
द्वितीय संस्करण वी.सं. २५२२ वि.सं. २०५३ सन् १६६७ शेष पूर्ववत् गोम्मटसार कर्मकाण्ड भाग - 1-2
वाचना प्रमुख :संपादक :
प्रकाशन :प्रकाशन तिथि :
मुद्रक :
जंबुद्वीपप्रज्ञप्ति
डॉ. सागरमल जैन
पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी ५ ( प्रथम संस्करण १६६६ )
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वर्धमान मुद्रणालय, भेलूपुर वाराणसी
ई. सन् १९६० ई.सन् २००० तृतीय संस्करण शेष पूर्ववत् चौदहगुणस्थानवचनिका
लेखक :
वाचना प्रमुख :संपादक :
प्रकाशन :प्रकाशन तिथि :
मुद्रक :
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आचार्य श्री नानेश
डॉ सुरेश सिसोदिया
श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ, समता भवन, बीकानेर (राजस्थान)
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प्रथम सन् १६६८
चौधरी ऑफसेट प्रा. लि. उदयपुर
1 जीवकाण्ड
आचार्य नेमिचंद्र रचिता
डॉ आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये
पं. कैलाशजी शास्त्री
भारतीय ज्ञानपीठ, १८, इंडस्ट्रीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड़, नई दिल्ली ११०००३ नागरी प्रिंटर्स, नवीन शाहदरा दिल्ली ११०००३ 2 जीवकाण्ड
तृतीय संस्करण सन् २०००
अखेराज शाह, स्वानुभूति प्रकाश दिसम्बर २००२ श्री सतश्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर - ३६४००१ पृ. १७
मेघविजयगणी
निर्णयसागर यंत्रालय, रामचंद्र सेडग पर महेसाणा श्री जैन श्रेयस्कर संस्कृत पाठशाला महेसाणा
वीर.नि.सं. २४५८, वि.सं. १६८४, खिस्तावदा १६२८
आचार्य तुलसी
आचार्य महाप्रज्ञा
जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान)
वि.स. २०४५ कार्तिक कृष्णा १३ सन् १६८६
एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७) १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६
आचार्य तुलसी
आचार्य महाप्रज्ञ
जैन विश्व भारती लाडनू (राजस्थान)
वि.स. २०४५ कार्तिक कृष्णा १३ सन् १९८६
एस. नारायण एण्ड सन्स ( ७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६
परिशिष्ठ- २........[497}
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