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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
परिशिष्ठ-२........{495} आगमदीपदशपयन
गुजराती छाया :- मुनि दीपरत्नसागरजी प्रकाशन :- आगमदीप प्रकाशन मुद्रक :
नवप्रभात प्रिंटिंग प्रेस, घी कांटा रोड़, अहमदाबाद
ई. सन् ३१-०३-६७, वि.स. २०५३ फागण वदी ७ आगमशब्दकोश
संपादक :- युवाचार्य महाप्रज्ञ, आचार्य तुलसी प्रकाशक :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.) मुद्रक :
अजन्ता प्रिंट्री - दिल्ली-३२ तिथि :
वि.स. २०३७ ज्येष्ठ द्वितीय-१० सन् १ जून १६८० उत्तराध्ययनसूत्र
वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी संपादक:- युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.) मुद्रक :
श्री वर्धमान प्रेस, नवीन शाहदरा, दिल्ली- ११०००३२
द्वितीय संस्करण वि.सं. २०५७ वी.नि.सं. २५२७ सन् मार्च २००० उपासकदशांग
वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी संपादक:- मुनि नथमलजी प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.)
मुद्रक :- एस नारायण एण्ड सन्स (७११७) १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ औपपातिकसूत्र
सम्पादक:- मिश्रीमलजी म. अनुवादक :- डॉ. छगनलाल शास्त्री प्रकाशक :- श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) मुद्रक :
सतीशचन्द्र शुक्ल, वैदिक यंत्रालय, केसरगंज, अजमेर-३०५००१
द्वितीय संस्करण : वीर.सं. २५१८, ई. सन् १९६२ कर्मग्रन्थ भाग 1 से 4 लेखक:
देवेन्द्रसूरिजी विवेचक:- धीरजलाल डायालाल मेहता प्रकाशक:- जैनधर्म प्रसारण ट्रस्ट, सूरत, ११/४४३ मातृछाया बिल्डिंग, चौथेमाले, रामजीनी पोल, नाणावट, सूरत-३६५००१
प्रकाशन वर्ष :- वी.नि.सं.२५२१ एवं २५२५, वि.सं.२०५१ एवं २०५५, ई.सन् १६६५ एवं १६६६ प्रथमावृत्ति मुद्रक :
भरत प्रिन्टरी, न्यू मार्केट पांजरापोल, रीलीफ रोड़, अहमदाबाद कर्मग्रन्थ भाग : 5
लेखक :- देवेन्द्रसूरिजी प्रकाशक :- यशोविजय जैन संस्कृत पाठशाला, जैन श्रेयस्कर मंडल महेसाणा
आवृत्ति - ४ वीर.सं. २५०४ वि.सं. २०३४ मुद्रक :
मणिलाल छगनलाल शाह, घी नवप्रभात प्रिंटिंग प्रेस, घी कांटा रोड़, अहमदाबाद कर्मग्रन्थ भाग:6
लेखक :- चंद्रमहत्तराचार्य संपादक :- रसिकलाल शांतिलाल मेहता प्रकाशक:- एच. भोगीलाल एण्ड कम्पनी, दुकान नं. - के.७/- नवमी गली, मंगलदास मार्केट, मुम्बई - ४००००२
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