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________________ Jain Education Intemational २२ १ अवरोह | १ उवरोह |" परस्पर उप|५ मार्गणा अरोह |१उवरोह १अवरोह उवरोह चडाचड गति अन्तरकाल अंतर मु. ६६ सा. पल्याका असंख्यात IMA Aal २३ । २४ mmH" भाग अंतरमुहूर्त ६ महीने अंतर मास ६ . Eoo ६०० x | २. ९००० २ नियमा | ३ नियमा भजन | भजन ६०० too ४ नियमा ३ नियमा ५ निपमा ६ नियमा |७ नियमा ८ नियमा | १०नियमा |७ भजना | भजना |६ भजन | भजन | ४ भजन J३ भजन ४ भजन For Private & Personal Use Only अर्द्धपुद्गल २५ विरहकाल एक समय द्वार अंतरमुहूर्त २६ । एकमव में| १ प्रत्येक स्पर्शना ९०० हजार बहुत भव में | २ - स्पर्शना असंख्यात असंख्यात परस्पर नियमा ३ नियमा | ३ नियमा स्पर्शना १० भजना | भजन | भजन २६ पढमा पढम | २ द्वार शाश्वता | शाश्वत अशाश्वत शाश्वत परभव गमन | साथ जावे नहीं जावें द्वार भव संख्या अनन्त द्वार ३३ अल्प बहुत्व १२ अनन्तगुणे | असंख्याते | असंख्याते ३० शाश्वत अशाश्वत शाश्वत अशाश्वत साथ जावें नहीं जावें : ७-८ 1१० | ५ संख्याते ३ | ४ संख्यात गुणा असंख्याते | असंख्याते | संख्याते यह | ३ आपस | ३ संख्यात १ सबसे | २ कम संख्यात तीनों ११ अनन्त गुणा में तुल्य ३४ |क्रिया द्वार २४ 12 २० २० परिशिष्ठ-१........{477} www.jainelibrary.org
SR No.001733
Book TitlePrakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshankalashreeji
PublisherRajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP
Publication Year2007
Total Pages566
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Soul, & Spiritual
File Size20 MB
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