________________
Jain Education International
१०
. पावती द्रव्य अनन्त प्रमाण
असंख्याते
प्रत्येक
१०८
प्रत्येक
१०८
प्रत्येक सौ | १६२ करोड़
हजार
करोड़
करोड़
११
:
१६२
१०८
१२
द्वार
खपती द्रव्य अनन्त | असंख्याते
प्रत्येक सौ प्रमाण क्षेत्र प्रमाण सर्वलोक त्रसनाड़ी
आधो और अढाई
तिरा लोक द्वीप क्षेत्र स्पर्शना सर्वलोक | छठी लोक का छठी नर्क | अघोबीज अघोबीज
नकसे असंख्यातवां | १२ वा १२ वा अनत्तरवी
ग्रीवेक भाग स्वर्ग स्वर्ग कात प्रमाण ३ प्रकार ६ आंवली | अनन्तर । ज. अन्त ज. अंत.. | (स्थिति) की
७ समय मूर्त ६ सागर | ऊणा करोड़
लोक का सम्पूर्ण लोक का असंख्यातनं लोक असंख्यातवां भाग
भाग अन्तर ऊणा मुहूर्त करोड़ पूर्व | अक्षर
पांच लघु
ज. समय उत्कृष्ट अन्तर
काल
प्राप्त मरे
नहीं मरे
मरे
-
नहीं मरे |
For Private & Personal Use Only
१७
भाव प्रमाण असंख्य द्वार स्थान निरन्तर गुण प्रत्येक द्वार असंख्यातवें
भाव
अवलिया
संयम
असंध्यातवें
मार्गणा
M
|
IN
२०
ur
| परस्पर
मार्गणा
मोक्ष
परिशिष्ठ-१........{476}
www.jainelibrary.org