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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{379)
मोहनीय कर्म का सम्बन्ध
(१) मिथ्यात्व गुणस्थान
(२) सास्वादन गुणस्थान
बन्धस्थान | उदयस्थान
सत्तास्थान
बन्धस्थान उदयस्थान | सत्तास्थान
| ७=१
२२ = १ २२ = १
اس
२८१ २८,२७, २६ =३
२८, २७, २६ = ३ | २८, २७, २६ = ३
२१ =१० ७=१ २१ = १| २१ =१]
२२ =
। १०-१
(३) मिश्र गुणस्थान
(४) अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान
बन्धस्थान
उदयस्थान
१७=१
|
७=१
सत्तास्थान २८, २७, २४ = १ २८, २७, २४ = १ २८, २७, २४ = १
१७ = १ | १७ = १
बन्धस्थान उदयस्थान | | सत्तास्थान १७ = १] ६=१ । २८, २४,१=३ १७ = १/ ७= १ २८,२४,२३,२२,२१ = ५ १७ % १८ २८,२४,२३,२२,२१५ १७ = १
२८,२४,२३,२२ = ४
(५) देशविरति गुणस्थान
(६) प्रमत्तसंयत गुणस्थान
बन्धस्थान
| उदयस्थान
| सत्तास्थान
बन्धस्थान उदयस्थान | सत्तास्थान
|
४ = १
ܩ
१३-१ १३ = १ १३ - १ १३ = १
२८,२४,२१ = ३ २८,२४,२३,२२,२१ =५
२८,२४,२३,२२,२१ = ५ |२८,२४,२३,२२ = ४ ।
६=१ ६ = १ ६=१
२८, २४, २१ = ३ २८,२४,२३,२२,२१५ २८,२४,२३,२२,२१-५ २८,२४,२३,२२ = ४
ܩ
=
ܩ
(७) अप्रमत्तसंयत गुणस्थान
(८) अपूर्वकरण गुणस्थान
बन्धस्थान
| उदयस्थान
ܩ
-
सत्तास्थान २८,२४,२१ = ३ | २८,२४,२३,२२,२१ = ५ २८,२४,२३,२२,२१ = ५ २८,२४,२३,२२ = ४
बन्धस्थान उदयस्थान | सत्तास्थान ६=१ ।
२८, २४, २१ = ३ ६=१ | ५ = १ | २८, २४, २१ = ३
२८, २४, २१% ३
ܩ
ܩ
ur
ܩ
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