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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा...
पंचम अध्याय........{353}
मिश्र गुणस्थान में बन्धहेतुओं के भंग/विकल्प
बन्ध हेतु संख्या
भय
क्रमांक
कायवध
hitya
कषाय
कुलभंग
जुगुप्सा
योग
/विकल्प
- | अविरति
•
छ: कायवध
१२००
* |
पांच कायवध | १४
तथा भय
*
७२००
पांच कायवध तथा जुगुप्सा
१४
*
*
७२००
१४
*
|४| चार कायवध
भय तथा जुगुप्सा
*
| ३x | १०x | १४|१
१८०००
कुल भंग | ३३६००
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