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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{352}
मिश्र गुणस्थान में बन्धहेतुओं के भंग/विकल्प
क्रमांक
बन्ध हेतु
कुल बन्ध हेतु विकल्प
कायवध
भय
| अविरति
जुगुप्सा
कुलभंग /विकल्प
पांच कायवध
७२००
|
श
|१३
चार कायवध तथा भय
१८०००
|
चार कायवध तथा जुगुप्सा
१८०००
|१३
तीन कायवध भय तथा जुगुप्सा
। २४ | ३४
| १०x | १४ |- |२४०००
कुल मंग |६७२००
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