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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
पंचम अध्याय........{351}
मिश्र गुणस्थान में बन्धहेतु भंग/विकल्प
बन्ध हेतु संख्या
क्रमांक
कुल बन्ध
अविरति
hitya
कायवध
कषाय
युगल
भय
वेद
योग
जुगुप्सा
कुलभंग विकल्प
.
१२
।
चार कायवध
१८०००
| १२
तीन कायवध तथा भय
५x | २०x | ४x | २x | ३x | १०x | १- |-
|
२४०००
१
तीन कायवध | १२ | १ ३ ३ | २ | १ | १ - तथा जुगुप्सा
x | २०x | ४x | २x | ३x | १०x | -
१ | २४०००
२
१
१
१
१
४| दो कायवध भय | १२ | १ २ ३ तथा जुगुप्सा
५x | १५x | ४x |
२४ | ३x | १०x | १-
१
|१८०००
कुल मंग
८४०००
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