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शुभकामना सन्देश..
पूज्य श्री डॉ. दर्शनकलाश्रीजी म. सा.
सादर वंदना!
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको प्रदत्त पीएचडी शोध कार्य पर आधारित "प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा" विषय पर एक पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है।
"गुणस्थान" का अध्ययन करना अति दुर्लभ कार्य है, जिसको कि आपने संभव कर दिखाया है । यह पुस्तक निश्चित रूप से विशुद्ध जैन आत्माओं के लिये उपयोगी होगी, इसी आशा के साथ बधाई के साथ बधाई एवं शभकामना प्रेषित है।
झाबुआ, दिनांक 21/07/2006
डॉ. प्रदीपकुमार संघवी एम.एस.सी.एम.फिल.पी.एच.डी.
सहायक, प्राध्यापक, प्राणीशास्त्र शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, झाबुआ
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