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( गुणस्थान : आत्मा का विकास क्रम)
-डॉ. तेजसिंह गौड़
जैन सिद्धान्त में आत्मा के चारित्रिक गुणों के विकास की स्थिति को बताने के लिए 'गुणस्थान' शब्द का व्यवहार हुआ है । यह एक प्रकार का मापदण्ड है, थर्मामीटर है जिसके द्वारा आत्मा के विकास की स्थिति को जाना जा सकता है। वास्तविक रूप में देखा जाय तो प्राचीन श्वेताम्बर आगम साहित्य में कहीं भी गुणस्थान शब्द का जीवस्थान शब्द मिलता है । गुणस्थान शब्द का सबसे पहले प्रयोग आचार्य कुन्दकुन्द के समयसार में तथा प्राकृत पंचसंग्रह एवं कर्मग्रन्थ में मिलता है । आचार्य नेमिचन्द ने अपने गोम्मटसार में जीवों को गुण कहा है। उनके अनुसार चौदह जीवस्थान कर्मों के उदय, उपशम, क्षय, क्षयोपशम आदि की भावाभावजनित अवस्थाओं से निष्पन्न होते हैं । परिणाम और परिणामी का अभेदोपचार करने से जीव स्थान को गुणस्थान कहा गया है ।
गुणस्थान की संख्या चौदह बताई गई है। प्रत्येक पर विस्तार से विचार किया गया है । ये उत्तरोत्तर विकास के प्रतीक है । यही आत्मा का विकासक्रम है । अंतिम गुणस्थान पहुंचकर आत्मा मुक्त हो जाता है । गुण स्थानों के सम्बन्ध में जैन साहित्य में भले ही विस्तार से विवरण मिलता हो किन्तु सामान्य रूप से इसका प्रचार-प्रसार कम ही देखने को मिलता है । यह बात अलग हो सकती है कि व्यावहारिक रूप में इसका पालन (क्रिया के रूप में) होता हो ।
हार्दिक प्रसन्नता की बात है कि परम पूज्य राष्ट्रसन्त, संयम दानेश्वरी, साहित्य मनीषी, आचार्य श्रीमद्विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी डॉ. दर्शनकलाश्रीजी म. सा. ने कठोर अध्यवसाय एवं गहन अध्ययन कर गुण स्थान जैसे गूढ़ विषय पर शोध प्रबन्ध तैयार किया है । इसमें अपने गुण स्थान विषय पर गहराई है। चिंतन-मनन कर विस्तार से लेखन किया है । निश्चय ही आपका यह लेखन विद्वानों के साथ साथ सामान्यजनों के लिये भी उपयोगी होगा । वर्तमान समय में कुछ इसी प्रकार के विषयों पर अनुसंधान कर विषय वस्तु को प्रकट करने की आवश्यकता है। पूज्य साध्वीजीश्री ने गुणस्थान पर अपना शोध प्रबन्ध प्रकाशित करवाकर स्तुत्य प्रयास किया है। विश्वास है, आपके इस ग्रन्थ से अधिसंख्य लोग लाभान्वित होंगे।
एक बार पुनः आपके द्वारा प्रस्तुत ग्रन्थ की अनुशंसा करते हुए आग्रह करता हूँ कि पूज्य साध्वीजी म.भविष्य में भी कुछ ऐसे ही विषयों पर अपनी लेखनी चलाकर जन-सामान्य के लिए ग्रन्थ उपलब्ध करवायेंगी।
इसी आशा और विश्वास के साथ....
डॉ. तेजसिंह गौड़ 4/45, कालिदास नगर, पटेल कॉलोनी
उज्जैन (म. प्र.)
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