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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा......
तृतीय अध्याय........{126) गुणस्थानवर्ती नारकियों में इन गुणस्थानों का उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम तेंतीस सागरोपम है । सास्वादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती नारकियों का अन्तरकाल सभी जीवों की अपेक्षा, जघन्यतः एक समय मात्र है। सभी जीवों की अपेक्षा, द्वितीय और तृतीय गुणस्थानवर्ती नारकियों में इन गुणस्थानों का उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपम के असंख्यातवें भाग मात्र है। एक जीव की अपेक्षा द्वितीय और तृतीय गुणस्थानवर्ती नारकियों में इन गुणस्थानों का जघन्य अन्तरकाल अनुक्रम से पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग और अन्तर्मुहूर्त है। एक जीव की अपेक्षा सास्वादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती नारकियों में इन गुणस्थानों का उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम तेंतीस सागरोपम है । प्रथम पृथ्वी से लेकर सातवीं पृथ्वी तक के नारकियों में मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीवों का सभी जीवों की अपेक्षा अन्तरकाल नहीं होता है, वे निरन्तर हैं। एक जीव की अपेक्षा सातों पृथ्वियों के नारकियों में प्रथम और चतुर्थ गुणस्थानों का जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है । एक जीव की अपेक्षा सातों पृथ्वियों के नारकियों में पहले और चौथे इन दोनों गुणस्थानों का उत्कृष्ट अन्तरकाल क्रमशः कुछ क सात, दस, सत्रह, बाईस और तेंतीस सागरोपम है । सातों ही पृथ्वियों के सास्वादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि गु नारकियों में इन दोनों गुणस्थानों का अन्तरकाल सभी जीवों की अपेक्षा से जघन्यतः एक समय है । सभी जीवों की अपेक्षा, सातों ही पृथ्वियों के द्वितीय और तृतीय गुणस्थानवर्ती नारकियों में इन गणस्थानों का उत्कष्ट अन्तरकाल पल्योपम भाग होता है। एक जीव की अपेक्षा सातों पृथ्वियों के द्वितीय और ततीय गणस्थानवर्ती नारकियों में इन गणस्थानों का जघन्य अन्तरकाल क्रमशः पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग और अन्तर्महर्त है। एक जीव की अपेक्षा सातों पृथ्वियों में इन दोनों गुणस्थानवी नारकियों में इन गुणस्थानों का उत्कृष्ट अन्तरकाल क्रमशः कुछ कम एक, तीन, सात, दस, सत्रह, बाईस और तेंतीस सागरोपम होता है।
तिर्यंचगति में मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती तिर्यंचों में इस गुणस्थान का, सभी जीवों की अपेक्षा, अन्तरकाल नहीं होता है, वे निरन्तर रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती तिर्यंचों में इन गुणस्थानों का जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है। एक जीव की अपेक्षा मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती तिर्यंचों में इसका उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम तीन पल्योपम है। सास्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थान से संयतासंयत गुणस्थान तक के गुणस्थानवर्ती तिर्यंचों में इन गुणस्थानों का अन्तरकाल, सामान्यतः जैसा बताया गया है, उसी के अनुसार समझना चाहिए । पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियों में मिथ्यादृष्टि गणस्थान का सभी जीवों की अपेक्षा. अन्तरकाल नहीं होता है। एक जीव की अपेक्षा मिथ्यादष्टि गणस्थानवर्ती इन तिर्यंचों का जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है । एक जीव की अपेक्षा मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तिर्यंचों में इस गुणस्थान का उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम तीन पल्योपम है । सास्वादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तीनों प्र इन गुणस्थानों का अन्तरकाल सभी जीवों की अपेक्षा, जघन्यतः एक समय है। सभी जीवों की अपेक्षा, सास्वादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तीनों प्रकार के तिर्यंचों में इन दोनों गुणस्थान का उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग है । एक जीव की अपेक्षा, सास्वादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तीन प्रकार के तिर्यंच जीवों में इन दोनों गुणस्थानों का जघन्य अन्तर क्रमशः पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग और अन्तर्मुहूर्त है। एक जीव की अपेक्षा द्वितीय और तृतीय गुणस्थानवर्ती इन तीनों प्रकार के तिर्यंचों में इन गुणस्थानों का उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटि पृथक्त्व से कुछ अधिक, तीन पल्योपम है । असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तीन प्रकार के तिर्यंचों में इस गुणस्थान का, सभी जीवों की अपेक्षा, अन्तरकाल नहीं है, वे निरन्तर रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तीन प्रकार के तिर्यंचों में इस गुणस्थान का जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त परिमाण है। एक जीव की अपेक्षा असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवर्ती इन तीनों प्रकार के तिर्यंचों में इस गुणस्थान का उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटि पृथक्त्व से अधिक तीन पल्योपम है । सभी जीवों की अपेक्षा, संयतासंयत गुणस्थानवर्ती इन तीन प्रकार के तिर्यंचों में इस गुणस्थान का अन्तरकाल नहीं है, वे निरन्तर रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा संयतासंयत गुणस्थानवर्ती इन तीनों प्रकार के तिर्यंचों में इस गुणस्थान का जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है। एक जीव की
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