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अध्याय ३ समत्वयोग : साधक, साध्य और साधना समत्वयोग में साध्य, साधक और साधनामार्ग का पारस्परिक संबंध १३१ समत्वयोग का साध्य समभाव की उपलब्धि
१३७ समत्वयोग के साधक का स्वरूप
१४१ समत्वयोग की साधना के विभिन्न चरण
१४३ १. मिथ्यात्व गुणस्थान
१४७ २. सास्वादन गुणस्थान
१५१ ३. मिश्र गुणस्थान
१५३ ४.अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान
१५४ ५. देशविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान
१५६ ६. प्रमत्त सर्वविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान
१५८ ७. अप्रमत्तसंयत गुणस्थान
१५९ ८. अपूर्वकरण (निवृत्तिकरण) गुणस्थान ९. अनिवृत्तिकरण (बादर-सम्पराय गुणस्थान) १०. सूक्ष्म सम्पराय गुणस्थान
१६३ ११. उपशान्त मोह गुणस्थान
१६४ १२. क्षीण मोह गुणस्थान १३. सयोगी केवली गुणस्थान
१६६ १४. अयोगी केवली गुणस्थान
१६७ समत्वयोगोग और सामायिक सामायिक शब्द के विभिन्न अर्थ
१७० सामायिक का शब्दार्थ षडावश्यक और समत्वयोग की साधना १. सामायिक
१७६ २. चतुर्विंशतिस्तव (भक्ति) ३. वन्दन
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