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________________ १८२ १८७ १८९ १९२ ४. प्रतिक्रमण ५. कायोत्सर्ग ६. प्रत्याख्यान सामायिक अर्थात् समत्वयोग के लक्षण सामायिक का स्वरूप सामायिक में लगनेवाले दोष सामायिक की साधना के विविध प्रकार ___समत्वयोग की साधना विधि १९४ १९८ २०२ ३.६ ३.७ २१५ م २१९ २२३ ة ४.३ २२६ २२७ २२८ अध्याय ४ समत्वयोग की वैयक्तिक एवं सामाजिक साधना समत्व की वैयक्तिक साधना सामाजिक विषमता के कारण वैयक्तिक और सामाजिक जीवन के संघर्ष १. मनोवृत्तियों का आन्तरिक संघर्ष २. व्यक्ति की आन्तरिक अभिरूचियों और बाह्य परिस्थितियों का संघर्ष ३. वैयक्तिक हित और सामाजिक हित (व्यक्ति और समाज के मत) संघर्ष समाजों के पारस्परिक संघर्ष जैन धर्म में वर्ण व्यवस्था सामाजिक वैषम्य के निराकरण का आधार अहिंसा वैचारिक वैषम्य के निराकरण का सूत्र अनेकान्त आर्थिक वैषम्य के कारण और अपरिग्रह द्वारा उनका निराकरण मानसिक वैषम्य के निराकरण का उपाय : अनासक्ति समत्वयोग : वीतरागता की साधना समत्व और मोक्ष २२९ ४.४ २३१ २३४ ४.५ २३५ ४.६ २३६ ४.७ २४६ २५४ ४.८ ४.९ ४.१० २५७ २५९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
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