SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६२ २.२.१ २.२.२ ६८ २.३.१ ७४ ७५ ७द ८४ सम्यगज्ञान (आत्म-अनात्म विवेक) भेदविज्ञान का स्वरूप सम्यक्चारित्र सम्यक्चारित्र की साधना समत्वयोग की आधारभूमि चारित्र के द्विविध भेद जैनधर्म में गृहस्थ-साधना का स्थान श्रमण और गृहस्थ जीवन की साधना में अन्तर गृहस्थ धर्म की विवेचन शैली गृहस्थ साधकों के दो प्रकार तीन अणुव्रत चार शिक्षाव्रत श्रावक की ग्यारह प्रतिमाओं का स्वरूप और समत्व की साधना श्रमण धर्म जैन श्रमणों के प्रकार जैन श्रमण के मूलगुण पंचमहाव्रत अहिंसा महाव्रत मृषावाद (सत्य-महाव्रत) अस्तेय महाव्रत ब्रह्मचर्य महाव्रत अपरिग्रह महाव्रत अष्टप्रवचनमाता : समिति गुप्ति समिति गुप्ति परिषह दशविध मुनि धर्म बारह भावना (अनुप्रेक्षा) सामायिक चारित्र एवं समत्वयोग की साधना १०३ १०७ ११० १११ ११२ ११४ ११८ १२० १२१ २.३.२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy