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________________ ३४८ जैनदर्शन में समत्वयोग की साधना जीवन के सन्तुलन या समत्व को भंग करते रहते हैं; किन्तु जीवन पुनः क्रियाशीलता द्वारा सन्तुलन बनाने का प्रयास करता है। यही जीवन की प्रक्रिया है। इस सम्बन्ध में जैनदर्शन का कहना है कि जीवन की क्रियाशीलता के साथ समत्व को बनाये रखने का प्रयास करना अधिक उचित है। जैनदर्शन ने जीवन का परम लक्ष्य समत्व, सन्तुलन, समभाव या सामायिक को ही स्वीकार किया है। __ जैनदर्शन में द्वन्द्व वाँछनीय स्थिति नहीं, अपितु निराकरणीय है। द्वन्द्व जीवन का यथार्थ तो है, किन्तु आदर्श नहीं है। आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार द्वन्द्व न तो अपने आप में शुभ है न अशुभ। उसके परिणाम ही उसे शुभ और अशुभ बनाते हैं। रचनात्मक दृष्टि से द्वन्द्व को एक ऐसे अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जो व्यक्ति/समाज के विकास और सृजनात्मकता के लिए सहायक है। द्वन्द्व व्यक्ति को कर्म के लिए प्रेरित करने वाला तत्व है। जैनदर्शन कर्मों को क्षयकर मुक्ति की प्राप्ति के लिए है। इसलिए कर्मों का बन्धन करने वाले तत्व जैनदर्शन में शुभ नहीं माने जा सकते। द्वन्द्व यदि कर्म को प्रेरित करता है, तो वह शुभ नहीं है। अध्यात्म शास्त्र के अनुसार जीवन न तो जन्म है और न मृत्यु। जीवन तो जागृति है - चेतना है। वैयक्तिक दृष्टि से इसे ही जीव कहते हैं अर्थात यही आत्मा है। जीवन चेतन तत्व की सन्तुलित शक्ति है। चेतना जीवन है और जीवन का कार्य है समत्व को बनाये रखना। दूसरे शब्दों में समत्व में स्थित रहना ही चेतना का स्वाभाविक गुण है। आत्मा प्रभु और स्वयम्भू है, वह किसी के अधीन नहीं है। जिसके द्वारा जाना जाता है, वही आत्मा है। प्रत्येक आत्मा अपने शरीर की स्वयं मालिक है। वह अच्छे-बुरे कर्मों के लिए स्वयं - ४ 'फर्स्ट प्रिन्सीपल्स्' पृ. ६६ । -स्पेन्सर। ५ Idealistic view of life' पृ. १६७ । -डॉ. राधाकृष्णन । ६ कैट्स और लॉयर पृ. १० । ७ 'जैन, बौद्ध तथा गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मा अध्ययन' भाग १ पृ. ४०६। ___-डॉ. सागरमल जैन । ८ आचारांगसूत्र १/५/५/१६६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
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