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* सुप्रभातम *
साध्वीजी प्रियवंदनाश्रीजी ने 'जैन दर्शन में समत्व योग' पर शोध करने का अद्भुत कार्य किया है। विषयगत गंभीरता व लेखन निष्ठा को देखकर उनकी प्रतिभा संपन्नता व परिपक्वता का बोध होता है।
मेरी शुभकामना है कि अपनी गुरुवर्या श्री के कुशल मार्गदर्शन में अविराम अपनी कलम चलाती हुई साहित्य की ऊँचाईयों को स्पर्श करें व आगे भी अधिक परिश्रम पूर्वक तथा सजगता से विविध ग्रन्थों की रचना कर जैन विद्या के भण्डार को समृद्ध करें। इसी मंगल कामना के साथ...
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गौतमचन्द कोठारी प्राचार्य - श. उ. मा. वि.,
फलोदी
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