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________________ २२२ जैनदर्शन में समत्वयोग की साधना हैं, तो वे चित्त के समत्व को भंग करते हैं। आसक्ति, ममत्वभाव या राग के कारण व्यक्ति में संग्रह, आवेश और कपटाचार का जन्म होता है। ये सभी समत्व की वैयक्तिक साधना और सामाजिक साधना में बाधक होते हैं। रागात्मकता या आसक्ति विषमता को उत्पन्न करती है। उस विषमता के चार मूलभूत प्रारूप हैं : १. संग्रह (लोभ); २. आवेश (क्रोध); ३. गर्व (अहंकार); और ४. माया (छिपाना)। इनको जैन धर्म में चार कषाय कहा गया है। ये चारों अलग-अलग रूप में सामाजिक जीवन में विषमता, संघर्ष एवं अशान्ति के कारण बनते हैं। संग्रह की मनोवृत्ति के कारण शोषण, अप्रामाणिकता, स्वार्थपूर्ण व्यवहार, क्रूर व्यवहार, विश्वासघात आदि विकसित होते हैं। क्रोध की मनोवृत्ति के कारण संघर्ष, युद्ध, आक्रमण एवं हत्याएँ आदि होती है। गर्व की मनोवृत्ति के कारण घृणा और क्रूर व्यवहार होता है। माया की मनोवृत्ति के कारण अविश्वास एवं अमैत्रीपूर्ण व्यवहार उत्पन्न होता है। इस प्रकार जैनदर्शन में जिन्हें चार कषाय कहा जाता है, उन्हीं के कारण सामाजिक समत्व भंग होता है। यदि समत्व की सामाजिक साधना करना है, तो इनका निरोध आवश्यक है। जैन धर्म का साधक कषाय-जय के द्वारा विषमताओं को समाप्त करने का प्रयत्न करता है। जैन धर्म में पांच महाव्रत का जो विधान है वह पूर्णतः समत्व की सामाजिक साधना के सन्दर्भ में ही है। हिंसा, मृषावचन, चोरी, मैथुन-सेवन (व्यभिचार) एवं संग्रहवृत्ति - ये सामाजिक जीवन की दुष्प्रवृत्तियाँ हैं। इनसे बचने के लिये पांच महाव्रतों का उपदेश दिया गया है। समत्व की सामाजिक स्तर पर साधना करने वाला व्यक्ति इनका परित्याग करता है। तब ही वह समाज कल्याण की उच्चतर भूमिका पर अधिष्ठित होता है। क्योंकि सच्चा लोकहित निःस्वार्थता एवं विराग की भूमि पर स्थित होकर ही किया जा सकता है। भगवान बुद्ध का यह कथन - 'चरत्थ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय ३३ देखें - 'नैतिकता का गुरुत्वाकर्षण' पृ. २ । -आचार्य महाप्रज्ञ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001732
Book TitleJain Darshan me Samatvayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyvandanashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Yoga, & Principle
File Size7 MB
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