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________________ अलंकारचिन्तामणि उदाहरण २०२, यथासंख्य अलंकारका स्वरूप २०३, यथासंख्यका उदाहरण २०३, अर्थापत्ति अलंकारका स्वरूप २०३, अर्थापत्तिका उदाहरण २०३, अन्य उदाहरण २०४, परिसंख्याका स्वरूप.२०४, शाब्दवा प्रश्नपूर्वक परिसंख्याका उदाहरण २०४, अर्थवा प्रश्नपूर्वा परिसंख्याका उदाहरण २०४, अप्रश्नपूर्वा शाब्दवा परिसंख्याका उदाहरण २०५, अर्थवा अप्रश्नपूर्वा परिसंख्याका उदाहरण २०५, श्लेषजन्य चारुत्वातिशयरूपा परिसंख्या २०५, उत्तरालंकारका लक्षण २०६, उदाहरण २०६, विकल्पालंकारका लक्षण .२०७, उदाहरण २०७, समुच्चयका लक्षण २०७, उदाहरण २०८, गुण और क्रियाके समूहसे युक्त उदाहरण २०८, समाधि अलंकारका लक्षण २०९, उदाहरण २०९, भाविक अलंकारका लक्षण २१०, उदाहरण २१०, प्रेयस् और रसवद् अलंकारोंके लक्षण २११, प्रेयस्का उदाहरण २११, रसवद् अलंकारका लक्षण २११, ऊर्जस्वी और प्रत्यनीक अलंकारों के लक्षण २१२, उदाहरण २१२, व्याघात अलंकारका स्वरूप २१३, उदाहरण २१३, पर्याय अलंकारका स्वरूप और भेद २१३, उदाहरण २१४, सूक्ष्म अलंकारका स्वरूप २१४, उदाहरण २१४, उदात्त अलंकारका स्वरूप २१५, उदाहरण २१५, परिवृत्ति अलंकारका स्वरूप २१५, समपरिवृत्तिका उदाहरण २१६, न्यूनाधिक परिवर्तका उदाहरण २१६, कारणमालालंकारका स्वरूप २१६, उदाहरण २१६, एकावली अलंकारका स्वरूप २१७, उदाहरण २१७, अपोह अर्थात्-निषेधका उदाहरण २१७, मालादीपकालंकारका स्वरूप २१७, उदाहरण २१७, सारालंकारका स्वरूप और उदाहरण २१८, संसृष्टि अलंकारका स्वरूप और भेद २१९, शब्दालंकार संसृष्टिका उदाहरण २१९, अर्थालंकार संसृष्टिका उदाहरण २१९, शब्दार्थोभय संसृष्टिका उदाहरण २२०, संकर अलंकारका स्वरूप २२०, संकरके भेद २२०, उदाहरण २२१ । पंचम परिच्छेद .... २२४-३३४ समवेदन या इन्द्रियज्ञानका स्वरूप २२४, स्थायीभावका स्वरूप २२४, स्थायीभावके भेद २२५, स्थायीभावोंका स्वरूप २२५, विभावका स्वरूप २२६, आलम्बन विभावका स्वरूप २२७, उद्दीपन विभावका स्वरूप २२७, उद्दीपनकी चार प्रकारकी स्थिति २२७, आलम्बनके गुण २२८, नायिकाओंके अलंकार २२८, अनुभावका स्वरूप २२९, सत्त्व और सात्त्विका स्वरूप २२९, सात्त्विक भावके भेद २२९, सात्त्विक भावके भेदोंका स्वरूप २३०, संचारी भावका स्वरूप २३१, संचारी भावोंके भेद २३१, संचारी भावोंके स्वरूप और उदाहरण २३२, भय, शंका, ग्लानि २३२, चिन्ता, श्रम, धृति, जाड्य २३३, गर्व, निर्वेद, कार्पण्य और दैन्य २३४, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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