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________________ विषय-सूची क्रोध, ईर्ष्या, हर्ष, उग्रता २३५, स्मृति, मृति और मरण, मद २३६, उद्बोध, निद्रा, अवहित्था, तर्क, व्रीडा २३७, आवेग २३८, मोह, मति, आलस्य, उन्माद २३९, अपस्मार, व्याधि, सुप्ति २४०, औत्सुक्य, विषाद, चापल्य २४१, रसकी स्थिति २४२, कामकी दस अवस्थाएँ २४२, चक्षु प्रीति और आसक्ति २४३, संकल्प और जागरण २४३, कृशता और विषय विद्वेषण २४४, लज्जानाश और उन्माद २४५, मूर्छा और मृति २४५, प्रलाप और संज्वर २४६, रसका स्वरूप २४७, रसके भेद २४७, सम्भोग शृंगार २४७, सम्भोग शृगारके भेद २४८. नायिकाओंके चार भेद २४८, स्वकीया नायिका २४८, परकीया और अनूढा २४९, परकीयाके भेद २४९, वारांगना २४९, विप्रलम्भ शृंगार २४९, हास्यरस २४९, हास्यरसकी अन्य सामग्री २५०, करुणरस २५१, रौद्ररस २५१, रौद्ररसके आलम्बन और उद्दीपन २५२, रौद्ररसके अनुभाव और सात्त्विक भाव २५२, वीररसका स्वरूप और उसके भेद २५२, वीररसके आलम्बन और उद्दीपन विभाव २५३, वीररसके अनुभाव २५३, भयानक रस २५४, भयानक रसके आलम्बन और उद्दीपन विभाव २५४, भयानक रसके अनुभाव और व्यभिचारी भाव २५४, बीभत्स रस २५४, बीभत्स रसके आलम्बन और उद्दीपन विभाव २५५, बीभत्स रसके सात्त्विक और व्यभिचारी भाव २५५, अद्भुतरस २५५, अद्भुत रसके आलम्बन और उद्दीपन विभाव २५६, अद्भुत रसके अनुभाव और व्यभिचारी भाव २५६, शान्तरस २५७, शान्तरसके आलम्बन और उद्दीपन विभाव २५७, शान्तरसके अनुभाव और सात्त्विक भाव २५७, शान्तरसके व्यभिचारी भाव २५७, रसोंका परस्पर विरोध २५८, रसोंकी निष्पत्ति का हेतु २५८, रसोंके वर्ण और देवता २५८, रीतिका स्वरूप और उसके भेद २५९, वैदर्भी रीति २५९, गौड़ी रीति और उसका उदाहरण २५९, पांचाली रीति और उसका उदाहरण २६०, शय्या और पाक २६१, द्राक्षापाक और नारिकेल पाकका स्वरूप २६१, काव्य सामग्री २६२, रूढ २६३, यौगिक २६४, अर्थप्रकार एवं वृत्तियोंका स्वरूप २६६, जहल्लक्षणाका उदाहरण २६७, अजहल्लक्षणाका उदाहरण २६७, साध्यवसाया लक्षणाका स्वरूप और उदाहरण २६८, व्यंजना वृत्तिका स्वरूप और उसके भेद २६८, वृत्तिका स्वरूप और उसके भेद २७०, रसोंके स्वभाव २७०, कौशिकी वृत्तिका स्वरूप २७०, उदाहरण २७१, आरभटी वृत्तिका स्वरूप २७१, सात्वती वृत्तिका स्वरूप २७१, उदाहरण २७२, भारती वृत्तिका स्वरूप और उदाहरण २७२, वृत्तियोंका साधारणत्व २७२, मध्यमा आरभटी और मध्यमा कौशिकीका स्वरूप २७३, मध्यमा कोशिकीका उदाहरण २७३, मध्यमा आरभटीका उदाहरण २७३, शोभा और उसका उदाहरण २७४, काव्यके भेद २७४, गुणीभूत या मध्यम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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