________________
HEM
विषय-सूची वृत्तजातिका उदाहरण ४१, नामाख्यात चित्रका लक्षण ४१, उदाहरण ४१, तार्य-सौत्र-शाब्द-शास्त्रवाक्य चित्रके लक्षण ४२, उदाहरण ४२, वर्णोत्तर एवं वाक्योत्तर चित्रोंके लक्षण ४४, उदाहरण ४४, श्लोकार्द्धपाद पूर्व चित्रका लक्षण और उसके भेद ४५, उदाहरण ४५, उपसंहार ४६, अन्य उदाहरण ४६, पादोत्तर जाति चित्रका उदाहरण ४७, चक्रबन्ध लिखनेकी विधि ४९, पद्मबन्धका लक्षण ४९, काकपद चित्रका लक्षण ५१, गोमूत्रिका चित्रका लक्षण और उदाहरण ५२, सर्वतोभद्र चित्रका लक्षण ५३, गतप्रत्यागतका लक्षण ५५, वर्धमानाक्षरका लक्षण ५६, हीयमानाक्षर चित्रका लक्षण ५८, उदाहरण ५८, शृंखलाबन्ध चित्रका लक्षण ६०, उदाहरण ६०; नागपाश चित्रणका लक्षण ६१, नागपाश रचनाकी विधि ६२, चित्रका लक्षण ६२, उदाहरण ६३, काव्यरचनाके लिए भाषा विषयक नियम ६३, प्रहेलिकाका स्वरूप और भेद ६७, अर्थप्रहेलिकाका उदाहरण ६७, शब्दप्रहेलिकाका उदाहरण ६७, स्पष्टान्धक प्रहेलिका का उदाहरण ६८, अन्तरालापक प्रश्नोत्तरका उदाहरण ६८, बहिरालापक अन्तर्विषम प्रश्नोत्तरका उदाहरण ६९, मात्राच्युतक प्रश्नोत्तरका उदाहरण ७१, व्यंजनच्युतकका उदाहरण ७२, अक्षरच्युत प्रश्नोतरका उदाहरण ७२, निहनुतैकालापकका उदाहरण ७४, मुरजबन्धका उदाहरण ७५, मुरजबन्धकी प्रक्रिया ७५, अनन्तरपाद मुरजबन्धका उदाहरण ७६, इष्टपाद मुरजबन्धका उदाहरण ७७, गूढतृतीयचतुर्थानन्तराक्षरद्वयविरचितयमकानन्तरपादमुरजबन्धका उदाहरण ७८, मुरज और गोमूत्रिका षोडशदल पद्मका उदाहरण ७८, गुप्तक्रियामुरजका उदाहरण ७९, अर्द्धभ्रम गूढपश्चार्द्ध चित्रका उदाहरण ८०, अर्द्धभ्रम गूढ-द्वितीयपादका लक्षण ८१, अर्द्धभ्रमनिरोष्ट्यगूढ चतुर्थपादका उदाहरण ८२, एकाक्षर विरचित चित्रालंकारका उदाहरण ८३, एकाक्षर विरचितैकपाद चित्रका उदाहरण ८४, द्व यक्षर चित्रका उदाहरण ८., गतप्रत्यागतार्द्ध चित्रका उदाहरण ८६, गतप्रत्यागतैक चित्रका उदाहरण ८६, गतप्रत्यागतपादयमकका उदाहरण ८७, बहुक्रियापद ..स्वर-गूढ....सर्वतोभद्रका उदाहरण ८७, गूढस्वेष्टपाद चक्रका उदाहरण ८८, दर्पणबन्धका उदाहरण ८९, दर्पणबन्धका स्वरूप ९०, पट्टकबन्धका स्वरूप ९०, उदाहरण ९०, तालवृन्त का स्वरूप ९१, उदाहरण ९१, निःसालबन्धका स्वरूप ९१, उदाहरण ९१, ब्रह्मदीपिकाका स्वरूप ९२, उदाहरण ९२, परशुबन्ध चित्रका स्वरूप ९२, उदाहरण ९३, यानबन्धका स्वरूप ९३, उदाहरण ९३, चक्रवत्तकका स्वरूप ९४, शृंगारबन्धका स्वरूप ९४, उदाहरण ९४, निगूढपादका स्वरूप ९५, उदाहरण ९५, छत्रबन्ध ९५, हारबन्ध ९६ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org