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________________ अलंकारचिन्तामणि उदाहरण १७, यमक श्लेष और चित्रकाव्य सम्बन्धी व्यवस्था १८, यमकका उदाहरण १८, उपमा और श्लेषका उदाहरण १९, चित्रालंकारके उदाहरण १९, काव्यरचनाके नियम २०, वर्णोंका शुभाशुभत्व २०, गणों के देवता और उनका फल २०, गणदेवता और फलबोधक चक्र २१, पदारम्भमें त्याज्य वर्ण २१, काव्यके प्रारम्भमें स्वर वर्गों के प्रयोगका फल २१, काव्यादिमें व्यंजन वों के प्रयोगका फल २२, गणोंके प्रयोग और उनका फलादेश २२, काव्यके तीन भेद और रचना करनेकी विधि २३, काव्यारम्भका नियम २३, समस्यापूर्ति करनेका औचित्य २४, समस्यापूर्तिका उदाहरण २४, समस्यापूर्तिका अन्य उदाहरण २५, समस्यापूर्तिका अन्य उदाहरण २५, महाकविका स्वरूप २६, मध्येमादि कवि २६ । द्वितीय परिच्छेद २७-९६ शब्दालंकारके भेद २७, चित्रालंकार २७, चित्रालंकारके अनेक भेद २७, व्यस्त और समस्त चित्रालंकारके लक्षण २८, व्यस्त चित्रालंकारका उदाहरण २८, समस्त चित्रालंकारका उदाहरण २९, द्विय॑स्त और द्विःसमस्त चित्रालंकारके लक्षण २९, द्विय॑स्त जाति चित्रालंकारका उदाहरण २९, द्विःसमस्त जाति चित्रालंकारका उदाहरण २९, व्यस्तक समस्तक चित्रालंकारका लक्षण ३०, व्यस्तक समस्तक चित्रालंकारका उदाहरण ३०, द्विय॑स्तक-समस्तक और द्वि समस्तक-व्यस्तक चित्रालंकारके लक्षण ३०, द्विय॑स्तक-समस्तक और द्विःसमस्तक-व्यस्तक चित्रालंकारके उदाहरण ३०, एकालापक चित्रालंकारका लक्षण ३१, एकालापक चित्रालंकारका उदाहरण ३१, अन्य उदाहरण ३१, प्रभिन्नक चित्रालंकार ३२, शब्दार्थलिंगभिन्न चित्रालंकारका उदाहरण ३२, शब्दार्थभिन्न चित्रालंकारका उदाहरण ३२, शब्दार्थलिंगविभक्तभिन्न चित्रालंकारका उदाहरण ३२, शब्दार्थवचन चित्रालंकारका उदाहरण ३३, प्रभिन्नक चित्रालंकारके सम्बन्धमें अन्य विचारणीय ३३, प्रभिन्नकके विषयमें अन्य आवश्यक तथ्य ३४, भेद्य-भेदक चित्रालंकारका लक्षण ३४, उदाहरण ३४, ओजस्वी जाति-चित्रालंकारका लक्षण ३४, उदाहरण ३५, सालंकार चित्रका लक्षण ३५, उदाहरण ३५, रूपक अलंकारजन्य चित्रका उदाहरण ३६, कौतुक चित्रालंकारका लक्षण ३६, उदाहरण ३६, प्रश्नोत्तर सम चित्रका लक्षण ३७, उदाहरण ३७, पृष्ट प्रश्नजाति चित्रका लक्षण ३७, उदाहरण ३७, भग्नोत्तर चित्रका लक्षण ३८, उदाहरण ३८, आदि-मध्य-उत्तर जाति चित्रका लक्षण और उदाहरण ३८, अन्तोत्तरका उदाहरण ३९, कथितापहनुत चित्रका लक्षण ३९, उदाहरण ३९, वृत्त एवं विषम वृत्त नामक चित्रका लक्षण ४०, उदाहरण ४०, इन्द्रमाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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