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________________ २२८ अलंकारचिन्तामणिः [ ५६१०आलम्बनगुणः कायवयोरूपादिशोभनम् । उदाहरणम्मुक्तागुणच्छायमिषेण तन्व्या रसेन लावण्यमयेन पूर्णे। नामिहदे नाथनिवेशितेन विलोचनेनानिमिषेण जज्ञे ॥१०॥ मुक्तादामच्छविः । छायाशब्दस्य समासवशान्नपुंस्त्वे' ह्रस्वत्वम् । मिषेण व्याजेन । रसेन अमृतेन । अनिमेषेण निमेषरहितेन मत्स्येन च जज्ञे जातम् । हारनूपुरकेयूरप्रभृतिस्तदलंक्रिया । उदाहरणम्अमर्षणायाः श्रवणावतंसमपाङ्गविद्युद्विनिवर्तनेन । स्मरेण कोशादवकृष्यमाणं रथाङ्गमुर्वीपतिराशशर्के ।।११।। *अमर्षणायाः कटाक्षद्युतेः पुनर्व्यावर्तनेन रथाङ्गं चक्रायुधम् । तच्चेष्टा वयसा जातभावहावादिकं यथा रहस्सु वस्त्राहरणे प्रवृत्ताः सहासगर्जाः क्षितिपालवध्वाः । सकोपकन्दर्पधनुःप्रमुक्तशरोघहुंकाररवा इवाभूः ।।१२।। आलम्बनके गुण सुन्दर शरीर, युवा अवस्था, विभिन्न सुन्दर शारीरिक चेष्टाएँ, रूप-लावण्य इत्यादि आलम्बनके गुण हैं। यथा-कृशांगोके मोतीकी चमकके प्रतिबिम्बके बहाने अत्यधिक लावण्ययुक्त रससे परिपूर्ण नाभिरूपी सरोवरमें प्रियतमके द्वारा प्रवेश कराये हुए नयन निमेषरहित हो गये ॥१०॥ मोतियोंकी मालाकी चमकके समान कान्ति । छाया शब्दको समासमें नपुंसक होनेसे ह्रस्व हुआ है। मिषेण = बहानेसे । रसेन = अमृतसे । अनिमिषेण = निमेष रहित । मीन हो गये । नायिकाओंके अलंकार हार, नूपुर, केयूर प्रभृति नायिकाओंके अलंकार हैं। उदाहरण राजाने विद्युत् रूपी नयन कोणके घुमानेसे असहनशील मानिनीके कर्ण भूषणको कामदेव द्वारा तरकशसे खींचा हुआ चक्रायुध है, ऐसी आशंका को ॥११॥ असहनशीलाका कटाक्ष कान्तिके परिवर्तन करनेसे चक्रायुध माना गया है। तच्चेष्टा--अवस्थाके अनुसार हावभाव आदि होते हैं। यथा-एकान्त में, रानीके वस्त्रोंके आकर्षणमें प्रवृत्त हास्य-युक्त शब्द, क्रुद्ध कामके धनुषसे छोड़े हुए बाणके समूहमें हुंकार शब्दके समान सुशोभित हुए ॥१२॥ १. नपुंसकत्वे-क-ख । २. अमर्षणायाः प्रणयकोपवत्याः श्रवणावतंसं कर्णपत्रम् । अपाते. त्यादि । निजपावस्थितं पति सामर्षणं निरीक्ष्य तदा क्वचित् कर्णावतंसायाः कटाक्षधुतेः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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