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योग-लक्षणम्] ___भाटी०--मंगल, बुध, सोम, शुक्र पैकीनो कोइ वार, अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, मघा, हस्त, विशाखा, मूल, श्रवण, पूर्वाभाद्रपदा आ नक्षत्रो पैकीन कोइ नक्षत्र अने नन्दा (१।६।११) पंचम, दशम आ तिथिओ पैकीनी कोइ तिथी, आ त्रणना योगे कुमारयोग उपजे छे, कुमारयोग धार्मिक अने मांगलिक कार्योमां शुभ गणाय छे.
कुमारयोगफल बंगालमुनिप्रोक्तः कुमारयोगो दिने सदोषेऽपि । अस्मिन् कार्य कार्य, दीक्षायात्राप्रतिष्ठादि ॥४३३॥
भा०टी०-कुमारयोग बंगाल देशीय मुनिओए कहेलो छ, दोषवाला दिवसे पण आ कुमारयोगमां दीक्षा, यात्रा, प्रतिष्ठा आदि कार्यों करवां, मूलमा आवेल 'आदि' शब्दथी विद्याग्रहण, मैत्री, प्रतिमाप्रवेश, गृहप्रवेश आदि दरेक स्थिर कार्यों कुमारयोगमा करवाथी कार्य सिद्धि थाय छे अने कर्त्ताने यश मळे छे.
३ राजयोगराजयोग भर पयाये, व्यन्तरेभैंः शुभावहः । भद्रातृतीयाराकासु, कुजज्ञभृगुभानुषु ॥ ४३४॥
भाण्टो०-भरणीथी मांडी बे बेने आंतरे रहेल नक्षत्रो अर्थात् भरणी, मृगशिरा, पुष्य पूर्वाफाल्गुनी, चित्रा. अनुराधा, पूर्वाषाढा, धनिष्ठा उत्तराभाद्रपदा आ नक्षत्रो, भद्रा तिथि अर्थात् द्वितीया सप्तमी, द्वादशी, तृतीया अने पूर्णिमा आ तिथिओ अने मंगल बुध, शुक्र अने सूर्यवार, आत्रण पैकीर्नु काइ पण नक्षत्र कोइ पण तिथि अने कोइ पण वार आवतां राजयोग बने छे.
राजयोग फल
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