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बार-लक्षणम्]
(२) वार दिनशुद्धिमां बीजो नंबर वारनो छे, वार नीचे प्रमाणे छेरवि चन्द्र मंगल बुधा, गुरु शुक्र शनैश्चरश्च दिनवाराः।। रवि कुज शनयः क्रूराः, सौम्याश्चान्ये पदोनफलाः ॥१२०॥
भा०टी०-रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र अने शनैश्चर ए दिन वारो छे. आ वारो पैकीना रवि, मंगल, शनैश्चर, ए क्रूर छे, अने बीजा सौम्य वार पोतानी होरा विना पोणुं फल आपे छे. होराः पुनरर्कसितज्ञ-चन्द्रशनिजीवभूमिपुत्राणाम् । सार्थघटीद्वयमानाः, स्ववारतस्तास्तु पूर्णफलाः ॥ १२१ ।।
भा०टी०-~वार होरा अढी घडीनी होय छे, रविवारे रविशुक्र-बुध-सोम-शनि-गुरु-मंगल, पुनः रवि-शुक्र-बुध-सोम-शनि आ क्रमथी होराओ प्रवर्ते छे. एज प्रमाणे सोमवारे सोम शनि गुरु मंगल, इत्यादि छट्ठा छट्ठा वारना क्रमे होराओ आवे छे, पोताना वारे होरा पूर्ण फल आपे छे. वारनुं कृत्य ते वारनी होरामां करी शकाय छे. वार प्रवृत्तिना समयथी होरानी प्रवृत्ति थाय छे. तेथी प्रथम बार प्रवृत्तिनो समय जाणवो आवश्यक छे. वारनी आदिने अंगे आरंभ सिद्धिकार लखे छे
वारादिरुदयावं, पलैमषादिगे रखी। तुलादिगे त्वधान्त्रिंगत , तामानान्तरार्धजैः ॥१२२॥
भा०टी० ---मेप कृप मिथुन कर्क सिंह कन्या आ राशिओमां मायन सूर्य होय त्यारे वारनो प्रारंभ मूर्योदय पछी अने तुला वृश्चिक धन मकर कुंभ मीन आ राशिओना सायन मूर्यमां वारनी प्रवृत्ति सूर्योदय पहेली थाय छे. मेपादिमां केटली पछी अने तुलादिमां कटली पहेली थाय ? ए जाणवानो उपाय आ छे. ज्यांनी
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