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________________ कषाय के भेद दूसरों का ही शत्रु नहीं; अपने प्राणों का भी दुश्मन बन जाता है । इच्छापूर्ति के लिए स्नेह-सम्बन्धों को तोड़ देता है। मनुष्य तब तक ही मित्रता का पालन करता है, चारित्र बल में वृद्धि करता है, आश्रितों का सम्यक् रीति से पोषण करता है, जब तक वह इस कषाय के वशीभूत न हो। मोक्षमार्ग प्रकाशक में बताया है- ११३ लोभ के कारण जीव कितना उद्यम करता है, कितने कष्ट सहन करता है, मरणान्तक पीड़ा सहन करता है। वस्तुतः पाँचों इन्द्रियों के विषय एवं मान कषाय की पूर्ति की लालसा - लोभ है। विनिमय का एक साधन धन है । विषयभोग के साधनों की प्राप्ति धन द्वारा होती है; अतः व्यक्ति धन प्राप्ति के लिए दौड़ लगाता है। चिन्तामणि में 'लोभ' संबंधित विचारात्मक निबन्ध में उद्धृत लोभ के दो उग्र लक्षण बताये हैं- ११४ ( १ ) असन्तोष ; और ( २ ) अन्य वृत्तियों का दमन । जब लोभ बहुत बढ़ जाता है तब प्राप्त में सन्तोष नहीं होता और अधिक पाने की चाहना बनी रहती है। ऐसी स्थिति में मान-अपमान, करुणा-दया, न्याय-अन्याय तो भूल ही जाता है; किन्तु कई बार क्षुधा तृषा, निद्रा-विश्राम, सुख भोग की इच्छा भी दबा लेता है। समवायांगसूत्र में लोभ के चौदह पर्याय बताये हैं- १५ लोभ, इच्छा, मूर्च्छा, कांक्षा, गृद्धि, तृष्णा, भिध्या, अभिध्या, कामाशा, भोगाशा, जीविताशा, मरणाशा, नन्दी एवं राग । भगवतीसूत्र में इन चौदह पर्यायों के अतिरिक्त तीन अन्य पर्यायें भी दिये हैं, जो इस प्रकार हैं- ११६ आशंसन, प्रार्थन, लालपन । 'समवायांगसूत्र' में नंदी एवं राग को भिन्नभिन्न रूपों में परिगणित किया गया है एवं 'भगवतीसूत्र' में नंदी - राग एक ही पर्याय बताया गया है। भगवतीसूत्र की अभयदेवसूरि वृत्ति अनुसार इन पर्यायों की निम्न व्याख्या है १. लोभ - जिस कर्म के निमित्त से लोभ - परिणाम हो । ११३. मोक्षमार्ग प्रकाशक / पृ. ५३ ११४. चिन्तामणि/ भाग २ / पृ. ८३ ११५. लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही.... ( समवाओ / समवाय ५२ / सू. १ ) ११६. अहं भंते । लोभे इच्छा मुच्छा.... ( भगवतीसूत्र / श. १२ / उ. ५ / सू. ५) Jain Education International ३५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001719
Book TitleKashay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHempragyashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Kashaya
File Size11 MB
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