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दि मास मासु छम्मास हूँ केवि जियंति कई वर-वच्छर नर सहसत्ति सेय-मल जायइँ ha गहिँ भेवि तुसारुव उत्तमेण तणु माणु णिरायहँ जिणवरेण निक्कि भासिय
विपासिहँ उप्पज्जहिं नोपज्जहिं सत्तममहि णारय पइँ सुरेश ए अवहारिय जिह केवि हुंति तावस खर-वय-धर परिवायय पंचम सुरवासइँ तिति व वयंति क्यासिय सावयवयहँ पहावं सुंदरु तापरि मुणिवर वय रहियउ सुद्ध चरित्तालंकिय-भाव
होइ मरेवि नारइउ न नारउ नरय निवासि वयइं नामरु जिह मवतिरिक्खविचउगइ गामिय तिरियत्तणु पमियाउहुँ तिरिय हुँ मणुव तिरिय पलिओत्रम - जीविय तिहिँ ईहिं न हुंति णिरुत्तउ
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संवच्छरु जीविय निहियास हूँ । वाहरंति जिणवर निम्मच्छर । सम्मुच्छिम मरंति वरायहूँ । कइवय दिणहिँ अवर पयडिय तुव । पंच सयाइँ सवायइँ चावहँ । एक्करयणि भवियहँ पयासिय । कुज्जय-वामण रमहिँ न लज्जहिं ।
हूँ मज्झ अण्णोन वियारय । उ वाउ काय विजानहिं तिहुँ । भावण-विंतर-जोइस - सुरवर । आजीवय सहसारे सुभास | नर सम्मत्ताहरण विहूसिय अच्चुव-सग्गि समुपज्जइ गरु । को विण जाइ जिणिंदे कहियउ । समन्वय जिणलिंग पहावें ।
घत्ता - उवरिम गेवज्जहिं अभवियवि संभवंति णिग्गंथहूँ । सव्वत्थसिद्धि वरि सूइ पर होइ ति रयण- पसत्यहँ ॥ २१३ ॥
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२०. १. D.°रं । २. D. त्थ । ३. D. पवाहें । २१. १. D.°उ । २. D. जिणेंदि ।
[१०.२०. १
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अमरु वि नामरु पिय-मण-हारउ | सग्ग-विमाणंतरि नारउ तिहँ । हुति भमंति तिलोयहो सामिय । नविरुद्ध मणु अत्तणु मणुअहो | उवसम अज्ज - सहाविं भाविय । गुलहंति जिणि वृत्त ।
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