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वड्डमाणचरिउ
[१०.१०.१
लवणण्णवे कालणवे मीणई
हुँति सलिल लीलारइ लीणई। जेम महंत तरंग रउद्दए
तेण सयंभूरमण समुद्दए । सेसहिँ नत्थि निरिक्खिउ नाणे मई सुरिंद आयास-समाण । लवणण्णवे जोयण अट्ठारह
तिमि तडिणि मुहि तिवन्जिय वारह । कालण्णवे छत्तीस गईमुहे
अट्ठारह कीला मय वर कहिं । जे अवसाण मयरहर अणिमिस ते जोयण सय पंच पिहिय दिस । थलयर खयरहँ वड्डिय णेहहँ सम्मुच्छिम गब्भुब्भव देहह । काहँ वि कय वय भाव अजिंदाहिं भासिय इय तणुमाणु मुणिंदहिँ । सम्मुच्छिमु जलयरु पज्जत्तउ जोयण सहसु कोवि फुडुवुत्तउ । जल गब्मुब्भउ णाणे दिट्ठउ । पंच सयई जोयणई पघुटउ। तिप्पयार समुच्छिम कायहँ
पज्जत्ती कम रहियहँ एयहँ। भणहिं वियत्थि अरुह गय साहण णर वियत्थि परमेणोगाहण । थल गब्भय तणु धरहँ ति कोसई उकिटेण जिणेण भणिय सई। जाणि जहण्ण सुहुम वायरह मि णियमणे दहसय-लोयण दोहामि । अंगुल-तणउँ असंखउ भायउ मई पंचम णाणे विण्णायउ । घत्ता-सुहुमणिगोयापज्जत्तयहो तइय-समइ संजायहो।
णिक्किहु देहु उकिट्ट सुणि मुइवि भंति जलजायहो ।।२०३।।
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पुणुवि वीरु मण-मोहु विणासइ सण्णिउँ पज्जत्तिल्लउ जाणई एक्क-वि-तिकरण पोट्ठा-पुट्ठउ अप्परिमट्ठउ रूउ णिरिक्खइ
इंदहो इंदिय-भेउ समासइ । सुइ पत्तउ पुट्ठउरउ निसुणई। परिमुणंति जिणणाहें घुट्टउ । फासु-गंधु-रसु णवहिं जि लक्खइ।
१०. १. J. V. व्वु । ५१ १. D. ।
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