SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ वड्डमाणचरिउ [५.२३.१ 5 . 10 २३ दुवई इय वियलिय समत्थ दिट्ठाउहु हयगलु करवि करयले । हयरिउ चक्क चक्कु धारालउ पभणइ रण सकलयले ॥ तुह चिंतिउ चूरइ एहु चक्कु धरणहूँ वलेण सक्कु वि असक्कु । महु चरण सुमरि परत्त हेउ तं सुणेवि समासइ गरुडकेउ । भीरुहे भीयरु तुह एउ वुत्तु नव धीर-वीर-सूरहिं निरुत्तु । वण-गय-गजिउ भीसणु सयावि वण-सावयाहँ ण हरिह कयावि । को मण्णइँ सूरउ तुज्झु चक्कु महु भावइ णाइँ कुलाल-चक्कु । तहो वयण-जलण-संदीविएण णर-नहयरेहिं अवलोइएण । आमुक्कु चक्कु हयकंधरेण गल गन्जिवि णिजिय-कंधरेण । णिय-कर-णियरेहि फुरंतु चक्कु उज्जोविय-नहु णं पलय-चक्कु । मयवइ-विरोहे करि चडिउ जाम कोलाहलु किउ देव हि ताम । तं लेवि तुरयगलु वुत्तु तेण महु पाय-पोम पणवहि सिरेण । इय भणिउ जाम विजयाणुवेण सर-पूरिय-सुरगिरि साणुगण । भुवल तोलिय वल मई-गलेण तातेण वि ण सहिउ हयगलेण । को तुहुँ सइँ मण्णहि अप्पुराउ मह पुणु पडिहासहि णं वरा। ता हरिणा पमणिउ किं अजुत्तु रे-रेण मुणहि संगाम-सुत्तु । किं भासहिं कायर णय णिहीणु तुहँ मई अवलोइउ णिच दीः । पेक्खंतह देवहँ दाणवाहूँ। उभय बलहँ खेयर माणवाहूँ। णित्तुलउ अज्जु तोड़ेवि सीसु तुह तणउँ मउड मणिकंति सीसु । घत्ता-करे कलेवि चक्कु विजयाणुवेण णेमिचंद कुंदुज्जलु । . इय भणि तहो सिरु चक्कै खुडिर उच्छलंत-सोणिय-जलु ।।११७|| इय मिरि-वड्ढमाण-तित्थयर-देव-चरिए पवर-गुण-णियर-भरिए विबुह सिरि सुकइ सिरिहर विरइए ह सिरि णेमिचंद अणुमण्णिए तिविट्र-विजय-लाहो णास पंचमो परिच्छे ओ समत्तो ॥संधि-५॥ . . जगदुपकृति रुन्द्रो जैन पादार्चनेन्द्रः सुकृत कृत वितन्द्रो वन्दिदत्तोतु चन्द्रः । गुरुतर गुण सान्द्रो ज्ञात तारादि मन्द्रः स्वकुल-कुमुद-चन्द्रो नन्दतान्नेमिचन्द्रः ।। २३. १. व्यावर प्रतिमें महुपायपोम....से....मइगलेण तक पृ. ४३ क. पृष्टके बदली हुई लिपिमें निचले हाँसिएमें लिखा हुआ है । २. J. V, भुवलि । ३. D. य । ४. J. ज्ज। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001718
Book TitleVaddhmanchariu
Original Sutra AuthorVibuha Sirihar
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Religion
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy