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"अरिवरे तुल्लें सावि कवी दोहिमि दइव परक्कम व तह पुज्जणिज्ज बलवंत णिरुत्तउ विमवंतेण णराएँ करिवइ गज्जिय अंतर मईजिहँ ति आयरण पुरिसहो भासहिं जेण मयारि कोडि बलवंतर लीला कोडिसिला संचालिय जासु दिण्ण सयमेय समाइवि बलवंतु विवि-बल-संगरे हउँ रहंग- लच्छी-संजुत्तउ
agमाणचरिउ
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मलयविलसिया
इ मुणि माणं तुज्झु सुवे
इ परिणाम - सत्थु जाणे विणु मह मयवंतु अकजेण जंपइ भुवण-पया सण-दिणयर-किरणहिं तो वयहिं सो तिमिरणि हियमइ if any or परिभा आहासइ विरुद्ध हयकंधरु जिह अवहेरि रोउ पवड्डइ हि सत्तु विण होइ गुणयारउ
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वीररसोल्लें |
भंति हरिव्वी ।
परियाणिय-सत्यहँ जयवंत | भो चक्कर बुहेहिं उत्तउ । दंडणी सहसत्ति सराएँ । गास-किरण दियरु उग्गमु जिहुँ । भावि भु-पत्त पयासहिं । अंगुलीहि पाहिँ विउत्तउ । आयवत्तु जिह तिह पञ्चलिय । जलणजडीसें सहूँ घरु जानवि । कि पर्दै जि प हूँ" भड-कय-संगरे । मकर गवु अजुत्तउ ।
घत्ता - मूढमणहँ कुजणहँ किं कहिवि वप्प अणिज्जिय-करण । हय- दुक्खहो सोक्खहो सिरि हवइ परिणाम हूँ मए धरणहँ ॥ ७९ ॥
[ ४. ९.१
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मलया
मकरि अमाणं । पडिणिउ एसो । मंति परिट्टि मणु करेविणु । यही र सर्ण कंपइ । कायारिव तिमिरुक्कर - हणणहिँ । परिबुद्ध ण तुरयगल दुम्मइ । लोयण - जुलु स-भाले चडाविवि । पाणि-तलप्पइँ पहय-वसुंधरु | कालु हेविणु पाइँ कड्डुइ । इपेविणु वइरि-वियारउ ।
९.
१. D. अरे ं । २. D. J. V. मउ । ३. D. J. V. भुवहुत्त । ४. DJ V. ब्वा। ५. J. V. जिप्पय V. जिप्प |
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