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बड्डमाणचरिउ
[३. २०.५
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तत्थवि विसाहणंदी पहूउ
सुउ जिणवर-तउ विरइवि सरुउ । एत्थंतरि सुर सेल-समिद्धउ
जंबू नामि दीउ सुपसिद्धउ । जो छहि वासहरेहि विहत्तउ 'सोहइ सत्त-खेत्त-संजुत्तउ । तेसु सजीव-धणुह-संकासू
दाहिण-दिसि तहो भारह-वासू । तासु मज्झि पुव्वावर-दीहरु विजयद्धवि नामेण महीहरु । जो जोयण पणवीसुच्चत्तणि
तं विउणी-कयमाणु पिहुत्तणि । मेहल-सेणि-वणेहि रेवन्नउ
सोहइ रुप्प-समुज्जल-वयणउ । तस्सुत्तरवर-सेणि पसिद्धी
अलयानयरी अत्थि समिद्धी । जहिं निवसहिं विज्जाहरलोया परउवयार करणि सपमोया। घत्ता-तहिं पुरवरि सामी नहयल-गामी मोरकंठ खेयरहँ पहु।
विज्जावलि-बलियउ गुण-सय-कलियउ करइ रज्जु जगे पयड-महु ॥५७॥
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मोरकंठ-विज्जाहर-रायहो
सूरिम-गुणि तिहुवणि विक्खायहो । सयलंतेउर-मज्झ पहाणी
अच्छइ कणयमाल तहो राणी। असह विसाहनंदि-सुरु चवियउ कणयमाल-कुक्खिहि अवयरियउ । तउ सागब्भणुभाव-विसेस हिं केलि करइ साउह-नर-वेसिहि । तिहुवणु सयलु गणइ तिण-लेखइ दप्पणु मिल्लि असिहि मुहु पिक्खई। इणि परि पूरि मणोरह रीणी पसवइ पुत्तु महो-मणि खाणी । तं फुडु अद्धचकि-तणु-लक्खणु पिक्खिवि खेयरराय ततक्खिणु । कारिप्पिणु उच्छउ अहिरामू
धरियउ आसगीउ तह नामू । घत्ता-सो नरवर-णंदणु नयणाणंदणु बालचंदु जिम ललिय-करु ।
णियकुल गयणंगणि वड्डइ दिण दिण सयल-कला-संगहण-परु ।। ५८ ॥
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फुरिय-तार-तारुन्न-तरंगह
निरुवम-रूव-रेह-गुण-रंगह। कुमरहँ सयल-कलाउ सयंवर वरहिणाई रणरणई णिरंतर । सो कुमार पुणु अण्ण-दिणंतर गिहि-गुह-माहि रहिउ झाणंतरि । जाम जाउ मंडइ निचल-मणु
ता पञ्चक्ख हवउ विज्जा-गण। सिद्ध-विज्जु सो मेरु-महीहरि जिण पणमिवि सासय-चेई-हरि । १८. १.J. V. सो इह । २. J. वरवन्नउ । १९. १. D.°रे । २. D.°इ । ३. D. राइ । ४. D. कर।
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