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विषयानुक्रम
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कडवक सं.
नौवीं सन्धिकी समाप्ति. आशीर्वाद.
पृष्ठ नूल/हिन्दी अनु. २२२-२२३ २२२-२२३
सन्धि १०
भगवान की दिव्यध्वनि झेलनेके लिए गणधरकी खोज. इन्द्र अपना वेश बदलकर गौतमके यहाँ पहुँचता है.
२२४-२२५ गौतम ऋषिने महावीरका शिष्यत्व स्वीकार किया तथा वही उनके प्रथम गणधर बने. उन्होंने तत्काल ही द्वादशांग श्रुतिपदोंकी रचना की.
२२४-२२५ समवशरणमें विराजमान सन्मति महावीरको इन्द्र द्वारा संस्तुति तथा सप्ततत्त्व सम्बन्धी प्रश्न.
२२६-२२७ जीव-भेद, जीवोंकी योनियों और कुलक्रमोंपर महावीरका प्रवचन.
२२६-२२७ जीवोंके भेद, उनकी पर्याप्तियाँ और आयु-स्थिति.
२२८-२२९ जीवोंके शरीर-भेद.
२३०-२३१ स्थावर जीवोंका वर्णन.
२३२-२३३ विकलत्रय और पंचेन्द्रिय तियंचोंका वर्णन.
२३२-२३३ प्राणियोंके निवास स्थान, द्वीपोंके नाम तथा एकेन्द्रिय और विकलत्रयके शरीरोंके प्रमाण.
२३४-२३५ समुद्री जलचरों एवं अन्य जीवोंकी शारीरिक स्थिति.
२३६-२३७ जीव की विविध इन्द्रियों और योनियोंका भेद-वर्णन.
२३६-२३७ १२. विविध जीव-योनियोंका वर्णन.
२३८-२३९ सर्प आदिकी उत्कृष्ट आयु. भरत, ऐरावत क्षेत्रों एवं विजयाई पर्वतका वर्णन. २४०-२४१ विविध क्षेत्रों और पर्वतोंका प्रमाण.
२४०-२४१ १५. प्राचीन जैन भूगोल-पर्वतों एवं सरोवरोंका वर्णन.
२४२-२४३ भरतक्षेत्रका प्राचीन भौगोलिक वर्णन-नदियाँ, पर्वत, समुद्र और नगरोंकी संख्या. २४२-२४३ १७. प्राचीन भौगोलिक वर्णन-द्वीप, समुद्र और उनके निवासी.
२४४-२४५ प्राचीन भौगोलिक वर्णन-भोगभूमियोंके विविधमुखी मनुष्योंकी आयु, वर्ण एवं वहाँकी वनस्पतियोंके चमत्कार.
२४४-२४५ प्राचीन भौगोलिक वर्णन-भोगभूमियों का काल-वर्णन तथा कर्मभूमियोंके आर्य-अनार्य. २४६-२४७ प्राचीन भौगौलिक वर्णन-कर्मभूमियोंके मनुष्योंकी आयु, शरीरकी ऊंचाई तथा अगले जन्ममें नवीन योनि प्राप्ति करने की क्षमता.
२४८-२४९ किस कोटिका जीव मरकर कहाँ जन्म लेता है.
२४८-२४९ २२. तिर्यग्लोक और नरक लोकमें प्राणियोंकी उत्पत्ति-क्षमता तथा भूमियोंका विस्तार. २५०-२५१ २३. प्रमुख नरकभूमियाँ और वहाँके निवासी नारकी-जीवोंकी दिनचर्या एवं जीवन. २५२-२५३ २४. नरकके दुःखोंका वर्णन.
२५४-२५५ २५. नरक-भूमिके दुःख वर्णन.
२५४-२५५
१३. १४.
१६.
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