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________________ ३० सोना, चाँदी आदि कुछ बँधा हुआ हो तो खोलकर ले ले । यदि गृहस्थ को दिखायी न दे और साधु को दिखायी दे तो वह गृहस्थ को बतावे । तत्पश्चात् वस्त्र ग्रहण करे । प्रश्न- यदि साधु गृहस्थ को सोना-चाँदी आदि बतायेगा तो उसे पाप होगा, क्योंकि गृहस्थ उसे पाप-कार्य में व्यय करेगा, अतः मुनि कैसे बता सकता है ? उत्तर—गृहस्थ को बताने में अल्प दोष है, न बताने में अधिक दोष है । कदाचित् गृहस्थ ने साधु की परीक्षा लेने के लिये कपट से उसमें बाँधा हो। ऐसी स्थिति में यदि साधु गृहस्थ को न बताये तो चोरी का कलंक, प्रवचन हीलना आदि दोषों की संभावना रहती है ॥८४९ ॥ वस्त्र ग्रहण करते समय वस्त्र को नौ भागों में बाँटकर देखना चाहिये कि वस्त्र का कौनसा हिस्सा अंजन आदि से दूषित है ? उसके अनुसार वस्त्र की शुभाशुभता का विचार करना चाहिये क्योंकि वस्त्र का कुछ हिस्सा दोषयुक्त होने पर भी शुभ माना जाता है, और कुछ हिस्सा अशुभ। अंजन - सुरमा आदि अथवा तैल से बनाया हुआ काजल । खंजन — दीपक का मैल । कर्दम — कीचड़ | इन तीनो से लिप्त वस्त्र तथा चूहे उपलक्षण से कसारी कुन्थुए आदि के द्वारा खाया हुआ वस्त्र, आग से जला हुआ वस्त्र, तुनकर द्वारा वस्त्र के छिद्रों को तुनकर ठीक किया हुआ वस्त्र, धोबी द्वारा कूटने-पिटने से कटा-फटा वस्त्र, जीर्ण वस्त्र तथा जीर्ण होने से जिसका रंग उड़ गया हो ऐसा वस्त्र । ऐसे वस्त्र को ग्रहण करने से शुभ-अशुभ जो भी परिणाम होता है, उसका चिन्तन निम्नांकित है । स्वामी भाग वस्त्र के कोने = ४ वस्त्र के अंतिम छोर = २ दोनों ओर की किनारी = २ मध्य भाग १ Jain Education International वस्त्र के भाग किनारी देवता मनुष्य असुर राक्षस कोना छोर (पल्ला) मध्यभाग कोना किनारी इस तरह वस्त्र के आकार की कल्पना करना कोना छोर (पल्ला) कोना शुभ काजल, सुरमा, कीचड़ आदि से दूषित होने पर भी लाभदायक है । दोषयुक्त हो तो मध्यम लाभ देव मनुष्य देव द्वार १२५ For Private & Personal Use Only भाग के स्वामी असुर राक्षस अशुभ मुनि रुग्ण बने मुनि की मृत्यु देव मनुष्य देव असुर वस्त्र के कोने आदि भागों के स्वामी पूर्वोक्त समझना ॥८५०-८५३ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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