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द्वार २७१
महाभद्रतप ७ लता (परिपाटी) में पूर्ण होता है। इसमें १९६ उपवास तथा ४९ पारणे होने से यह तप १९६ + ४९ = २४५ दिन में पूर्ण होता है ॥१५३२-३४ ॥
१३. भद्रोत्तर—यह प्रतिमा भी कहलाती है। प्रतिमा अर्थात् प्रतिज्ञा विशेष । यह प्रतिमा ५ लता में परिपूर्ण होती है। इसमें १७५ उपवास व २५ पारणे हैं। कुल २०० दिन में यह तप पूर्ण होता है ।
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॥१५३५-३६॥ १४. सर्वतोभद्र—यह प्रतिमा ७ परिपाटी में पूर्ण होती है। इसमें उपवास के दिन ३६२ तथा पारणे के दिन ४९ है। दोनों मिलाने से ४४१ दिन में सर्वतोभद्रतप पूर्ण होता है। ग्रंथान्तर में ये तप अन्यरोति से भी बताये हैं।
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भद्रादि तपों के पारणे में पूर्ववत् सर्वरस भोजन, विगय रहित भोजन, अलेपकारी भोजन या आयंबिल किया जा सकता है। इस प्रकार ४ प्रकार के पारणे के भेद से ये तप भी ४ प्रकार के होते हैं ॥१५३७-४० ।।
१५. सर्वसुखसंपत्ति—सर्व सुख-संपत्ति प्राप्त कराने वाला तप। संसार में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो इस तप की आराधना करने वाले प्राणी को नहीं मिलती। इस तप में तिथि की संख्या के अनुसार उपवास किये जाते हैं। जैसे एकम का १ उपवास, दूज के २ उपवास यावत् पूनम के १५ उपवास होते
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