________________
प्रवचन - सारोद्धार
Jain Education International
पंसू य मंसरुहिरे केससिलावुट्ठि तह रयुग्घाए। मंसरुहिरे अहरत्तं अवसेसे जच्चिरं सुतं ॥ १४५३ ॥ पंसू अच्चित्तरओ रयस्सलाओ दिसा रउग्घाओ । तत्थ सवाए निव्वायए य सुत्तं परिहरति ॥ १४५४॥ गंधव्वदिसा विज्जुक्क गज्जिए जूव जक्खआलित्ते । एक्केक्कपोरिसिं गज्जियं तु दो पोरिसी हणइ ॥ १४५५ ॥ दिसिदाहो छिन्नमूलो उक्क सरेहा पगाससंजुत्ता । संझाछेयावरणो उ जूवओ सुक्कि दिण तिन्नि ॥१४५६ ॥ चंदिमसूरुवरागे निग्घाए गुंजिए अहोरतं ।
संझाउ पडिवए जं जहि सुगिम्हए नियमा ॥ १४५७ ॥ आसाढी इंदमहो कत्तिय सुगिम्हए य बोद्धव्वे | एए महामहा खलु एएसि जाव पाडिवया ॥ १४५८ ॥ उक्कोसेण दुवालस चंदो जहन्नेण पोरिसी अट्ठ सूरो जहन्न बारस पोरिसी उक्कोस दो अट्ठ ॥ १४५९॥ सग्गहनिवुड्ड एवं सूराई जेण दुतिऽहोरत्ता । आइन्नं दिणमुक्के सोच्चिय दिवसो य राई य ॥१४६० ॥ वुग्गहदंडियमाई संखोभे दंडिए व कालगए। अणराय य सभए जच्चिरऽ निद्दोच्चऽहोरत्तं ॥ १४६१ ॥ तद्दिवसभोइआइ अंतो सत्तण्ह जाव सज्झाओ ।
अणाहस् य हत्थसयं दिट्ठिवि वित्तंमि सुद्धं तु ॥ १४६२ ॥ मयहरपगए बहुपक्खिए य सत्तधर अंतर मयंमि । निद्दुक्खत्तिय गरिहा न पढंति सणियगं वावि ॥१४६३ ॥ तिरिपंचिदिय दव्वे खेत्ते सहित्थ पोग्गलाइन्नं । तिकुरत्थ महंतेगा नगरे बाहिं तु गामस्स ॥ १४६४॥ काले तिपरिसि अट्ठ व भावे सुत्तं तु नंदिमाईयं । सोणिय मंसं चम्मं अट्ठीवि य अहव चत्तारि ॥ १४६५ ॥ अंतो बहिं व धोयं सट्ठी हत्थाउ पोरिसी तिन्नि । महकाइ अहोरत्तं रत्ते वूढे य सुद्धं तु ॥ १४६६ ॥
For Private & Personal Use Only
३९३
www.jainelibrary.org