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________________ ३४८ द्वार २४४-२४५-२४६ २४४ द्वार: गर्भोत्पत्ति रिउसमयण्हायनारी नरोवभोगेण गब्भसंभूई। बारस मुहुत्त मज्झे जायइ उवरिं पुणो नेय ॥१३६३ ॥ -गाथार्थ___ पुरुष संयोग के कितने समय पश्चात् गर्भोत्पत्ति होती है ? --ऋतुस्नाता स्त्री को पुरुष संयोग के बारह मुहूर्त के भीतर गर्भ की उत्पत्ति होती है। तदुपरान्त नहीं होती ॥१३६३ ॥ -विवेचन___ ऋतुस्नान करने के पश्चात् पुरुष के संभोग से १२ मुहूर्त (२४ घड़ी अर्थात् ९ घंटा ३६ मिनट) के भीतर स्त्री के गर्भोत्पत्ति होती है। १२ मुहूर्त तक शुक्र और शोणित गर्भाधान कराने में सक्षम होते हैं। तदुपरांत उनका सामर्थ्य नष्ट हो जाता है। अत: १२ मुहूर्त के बाद गर्भोत्त्पत्ति नहीं होती ॥१३६३ ॥ २४५ द्वार : कितने पुत्र-कितने पिता२४६ द्वार: सुयलक्खपुहुत्तं होइ एगनरभुत्तनारिगब्भंमि । उक्कोसेणं नवसयनरभुत्तत्थीइ एगसुओ ॥१३६४ ॥ -गाथार्थगर्भ में एक साथ कितने जीव उत्पन्न होते हैं?; एक पुत्र के कितने पिता हो सकते हैं?— एक पुरुष द्वारा भोगी गई स्त्री के गर्भ में दो लाख से नौ लाख (लाख पृथक्त्व) जीव उत्पन्न होते हैं। उत्कृष्टत: नौ सौ पुरुषों द्वारा भोगी गई स्त्री के गर्भ में एक पुत्र होता है अर्थात् एक पुत्र के नौ सौ पिता हो सकते हैं ॥१३६४ ।।। -विवेचनजघन्य से गर्भ में १...२...या ३ जीव उत्पन्न होते हैं। उत्कृष्ट से गर्भ में ९ लाख जीव उत्पन्न होते हैं। निष्पत्ति एक या दो जीव की ही होती है, शेष अल्प-काल जीकर मर जाते हैं। उत्कृष्ट से एक गर्भ के ९०० पिता हो सकते हैं। दृढ़ संघयण वाली अत्यंत कामातुर नारी ऋतु-स्नान के पश्चात् १२ मुहूर्त के भीतर ९०० पुरुषों के साथ संभोग करे तो उस बीज में से पैदा होने वाला जीव ९०० पिता का पुत्र होता है ॥१३६४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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