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________________ द्वार २३६ ३३० (iii) त्रिविध-एकविध १.....३ (iv) द्विविध-त्रिविध (v) द्विविध-द्विविध १.....३ • स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न कराना, न करने वाले का अनुमोदन करना, मन-काया से। • स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न कराना, न अनुमोदन करना वचन-काया से। - इसके भी उत्तरभेद ३ हैं। - • स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न कराना, न अनुमोदन करना, १ मन से, २ वचन से और ३ काया से । इसके उत्तर भेद ३ हैं। • स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न कराना, मन, वचन व काया से। • स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न अनुमोदन करना, मन, वचन व काया से। • स्थूलहिंसादि सावध पाप न कराना, न अनुमोदन करना मन, वचन व काया से। - इसके उत्तर भेद ९ हैं। - स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न कराना, मन-वचन से...मन-काया से..वचन-काया से । - स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न अनुमोदन करना मन-वचन से..मन-काया से..वचन-काया से। -- स्थूलहिंसादि सावध पाप न कराना, न अनुमोदन करना मन-वचन से..मन-काया से..वचन-काया से। - इसके भी उत्तरभेद ९ हैं। - स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न कराना मन से..वचन से...काया से। - स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना, न अनुमोदन करना, मन से.. वचन से..काया से। - स्थूलहिंसादि सावद्य पाप न कराना न अनुमोदन करना मन..से...वचन से..काया से। - इसके उत्तरभेद ३ हैं। • स्थूलहिंसादि सावध पाप न करना मन-वचन-काया से। • स्थूलहिंसादि सावध पाप न कराना मन-वचन-काया से। • स्थूलहिंसादि सावध पाप का अनुमोदन न करना मन-वचन-काया ४...से...६ ७...से....९ (vi) द्विविध-एकविध १....से....३ ४.........६ ७....से....९ (vii) एकविध-त्रिविध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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