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________________ २८८ द्वार २२१ Ases MM - 3 औदयिक औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक औदयिक औपशमिक क्षायिक पारिणामिक औदयिक औपशमिक क्षायोपशमिक पारिणामिक औदयिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक P "FF - - - औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक औदयिक और पारिणामिक पंच संयोगी पूर्वोक्त छब्बीस भांगों में से द्विक संयोगी नौवां भांगा त्रिक संयोगी पांचवां व ६वां भांगा चतुर्संयोगी तीसरा व ४था भांगा पंच संयोगी पहिला भांगा ये छ: भांगे ही व्यवहारोपयोयगी हैं।शेष बीस भांगे मात्र संयोगिक कल्पनाजन्य हैं। • द्विक संयोगी नौवां भांगा....क्षायिक, पारिणामिक ....सिद्ध में होता है । क्षायिक भाव से सम्यक्त्व और पारिणामिक भाव से जीवत्व । (१ भेद) • त्रिक संयोगी पांचवां भांगा....औदयिक, क्षायिक और पारिणामिक ....केवली में होता है। क्षायिक भाव से = केवलज्ञान, औदयिक भाव से = मनुष्यत्व, पारिणामिक से = जीवत्व-भव्यत्व। (१ भेद) त्रिक संयोगी छठा भांगा..औदयिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक...चार गति में होता है। (४ भेद) क्षायोपशमिक = इन्द्रियादि, औदयिक = नरक-तिर्यंच-मनुष्य या देवगति । पारिणामिक = जीवत्व आदि। • चतुः संयोगी तीसरा भांगा....औदयिक, औपशमिक, क्षायोपशमिक, व पारिणामिक...४ गति में होता है। (४ भेद) औपशमिक = सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक = इन्द्रियादि, औदयिक = पूर्ववत् चारों गति । पारिणामिक = जीवत्वादि चतुः संयोगी चौथा भांगा...औदयिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक...४ गति में होता है। (४ भेद) क्षायिक = सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक = इन्द्रियादि, औदयिक = पूर्ववत् चार गति, पारिणामिक = जीवत्वादि । पंच संयोगी पहला भांगा.....औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपमिक, औदयिक और पारिणामिक.... क्षायिक सम्यक्त्वी उपशम श्रेणी करने वाले मनुष्य में होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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