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प्रवचन-सारोद्धार
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02-01-55555
• सूर्य-मंडल, चन्द्र-मंडल, ग्रहण आदि बहुत से सादि पारिणामिक भाव हैं। तथा • लोक स्थिति, अलोक स्थिति, धर्मास्तिकाय का स्वभाव, अधर्मास्तिकाय का स्वभाव आदि
बहुत से अनादि पारिणामिक भाव है। • इस प्रकार ‘औपशमिक' आदि ५ भावों के कुल मिलाकर २ + ९ + १८ + २१ +
३ = ५३ भेद होते हैं। (vi) सान्निपातिक–पूर्वोक्त ५ भावों का संयोग सान्निपातिक भाव है। इसके २६ भेद हैं
१. औदयिक-औपशमिक २. औदयिक-क्षायिक ३. औदयिक-क्षायोपशमिक ४. औदयिक-पारिणामिक ५. औपशमिक-क्षायिक ६. औपशमिक क्षायोपशमिक ७. औपशमिक पारिणामिक ८. क्षायिक क्षायोपशमिक ९. क्षायिक पारिणामिक १०. क्षायोपशमिक पारिणामिक
१. औदयिक औपशमिक क्षायिक २. औदयिक औपशमिक क्षायोपशमिक ३. औदयिक औपशमिक पारिणामिक ४. औदयिक क्षायिक क्षायोपशमिक ५. औदयिक क्षायिक पारिणामिक ६. औदयिक क्षायोपशमिक पारिणामिक ७. औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक ८. औपशमिक क्षायिक पारिणामिक ९. औपशमिक क्षायोपशमिक पारिणामिक १०. क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक
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