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________________ २४२ ५. महापद्म २. पाण्डुक • गणित = जिसके द्वारा अशर्फियाँ, सुपारी आदि फलों की गणना की जाती है। गीत स्वर, ताल, लय, विविध प्रकार की राग-रागिनियों से सम्बन्धित व्याख्या । मान = जिससे धान्य मापा जाता है ऐसे माप । उन्मान = जिससे शक्कर, गुड़ आदि तोला जाता है वह तराजू, बाट, तोला, भाषा आदि || १२२० ॥ ३. पिंगलक पुरुष, स्त्री, हाथी व घोड़ों के पहिनने योग्य आभूषण बनाने की विधि जिसमें बताई गई है | १२२१ ॥ ४. सर्वरत्न ६. काल ७. महाकाल ८. माणवक Jain Education International -- - इस निधि में, गणित, गीत, मान- उन्मान तथा देश कालोचित शाली आदि धान्यों की उत्पत्ति सम्बन्धी प्रक्रियाओं की व्याख्या है 1 द्वार २१३ चक्रवर्ती के योग्य चौदह रत्नों की उत्पत्ति का स्वरूप जिसमें वर्णित है। चौदह रत्न इस निधि से उत्पन्न होते हैं, ऐसा भी किसी का मानना है । उत्पन्न होने का अर्थ है इस निधि के प्रभाव से चौदह रत्न तेजस्वी बनते हैं ॥ १२२२ ॥ वस्त्रों के विविध रंग, अनेक प्रकार की डिजाइनें, लोहा, ताँबा आदि धातुओं की उत्पत्ति की विधि इस निधि में बताई गई 1 कहीं पर 'धोव्वाण य' ऐसा भी पाठ है, जिसका अर्थ है कि सभी तरह के वस्त्रों को धोने की विधि महापद्म निधि में बताई है ॥। १२२३ ॥ कालनिधि में ज्योतिष् सम्बन्धी ज्ञान है । तीर्थंकर, बलदेव व वासुदेव के वंश में जो हो चुका, जो हो रहा है तथा जो होगा इन सब का ज्ञान कालनिधि से होता है । कहीं पर 'तिसुवि वासेसु' ऐसा भी पाठ है, उसका अर्थ है । अतीत के तीन वर्ष तथा आगामी तीन वर्ष तक का ज्ञान इस निधि से होता है । कहीं पर ' भव्वपुराणं च तिसुवि कालेसु' ऐसा भी पाठ है 1 जिसका अर्थ है - इस निधि से त्रैकालिक शुभाशुभ का ज्ञान होता है। कुंभार, लुहार, चित्रकार, बुनकर व नाई आदि पांच शिल्प अपने सौ-सौ प्रभेदों सहित तथा कृषिकर्म, वाणिज्य आदि प्रजा हितकारी कलाओं का भी इसमें सप्रभेद वर्णन है । १२२४ ॥ लोहे के अनेक भेदों की उत्पत्ति इस निधि में वर्णित है। साथ ही इसमें चाँदी, सोना, चन्द्रकान्तादि मणियाँ, मोती स्फटिकादि रत्न तथा मूंगे आदि की खानों का भी वर्णन है ।। १२२५ ॥ इस निधि योद्धाओं से सम्बन्धित कवच, खड्ग आदि शस्त्र, व्यूहरचना, साम, दाम, दण्ड, भेद रूप नीति आदि का वर्णन है । १२२६ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001717
Book TitlePravachana Saroddhar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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